शिमला. गलवान घाटी में चीन का कायराना हरकत के पश्चात देशवासियों में चीन के प्रति रोष है. स्वदेशी रक्षाबंधन-आत्मनिर्भर रक्षाबंधन के संकल्प में प्रत्येक व्यक्ति योगदान दे रहा है. प्रदेश की महिलाओं ने स्वाभिमान की रक्षार्थ संकल्प लिया है कि इस बार रक्षाबंधन पर भाईयों की कलाई पर स्वदेश राखी ही सजेगी.
भारतीय सैनिकों के बलिदान से व्यथित कांगड़ा के ज्वालामुखी की अधवानी पंचायत में 13 महिला स्वयं सहायता समूह स्वदेशी राखियों के निर्माण में जुटे हैं. इन महिलाओं द्वारा राखियों का निर्माण बड़े व्यापक स्तर पर किया जा रहा है. ज्वालामुखी की बोहन भाटी में पंचायती राज विभाग यहां के स्थानीय विक्रय केंद्रों में राखियों की प्रदर्शनी भी लगाएगा. इन स्वयं सहायता समूहों में हर महिला प्रतिदिन 100 के करीब राखियों का निर्माण करती है. चीनी राखियों को मात देने के लिए प्रयास कर रहे हैं.
दूसरी ओर कुल्लू के मनाली की स्वयंसेवी संस्था राधा की महिला सदस्य आजकल दिन-रात राखियां बनाने के काम में लगी हुई हैं. राधा एनजीओ की 10 से अधिक सदस्य जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, इन राखियों को बनाने के काम में जुटे हैं. राखियों की कीमत 10 से 20 रुपये रखी है. आस-पास के बाजारों से अब तक संस्था के पास 3 हजार से अधिक राखियों की मांग आ चुकी है. कोविड-19 के दौर में राधा एनजीओ की अपनी आर्थिकी में भी सुधार हो रहा है. इससे पहले यहां के स्थानीय बाजारों में चीनी राखियों की मांग ही बहुत रहती थी, लेकिन अब स्थानीय स्तर पर महिलाओं की जागरूकता के कारण लोग चीनी राखियों का पूरी तरह से बहिष्कार कर रहे हैं.
रक्षाबंधन में देश की भावनाओं के साथ पर्व की पवित्रता का संदेश
भारत चीन सीमा विवाद के बाद इस समय देश में चीन के प्रति आक्रोश भरा है. ऐसे में रक्षाबंधन पर्व आ रहा है, रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है. पर्व पर चीनी राखियां खरीदकर राष्ट्रीय भावनाओं को आहत नहीं करना चाहते हैं. महिलाओं का मानना है कि राष्ट्रीय भावनाओं के साथ ही पर्व की भावनाओं को जोड़कर इस बार का रक्षाबंधन मनाया जाएगा. राखी का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का परिचायक है, इस बार स्वदेशी राखियों के कारण पर्व की पावनता और बढ़ी है. भारत-चीन तनाव के बाद भारतीय लोगों में चीनी वस्तुओं का आकर्षण भी कम हो रहा है, इस बार भारतीय बाजार स्वदेशी राखियों से पटे हुए हैं और लोग भी राखियों की जमकर खरीदारी कर रहे हैं. अधिकतर बाजारों में लोग राखियां खरीदने से पहले यह पूछ रहे हैं कि कहीं ये राखियां चीन में निर्मित तो नहीं हैं.