नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने चार अधिसूचनाएं जारी कर मतदाता सूची के डाटा को ‘आधार’ से जोड़ने, युवाओं को साल में एक बार के बजाय चार बार मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की अनुमति दी है.
शुक्रवार को जारी अधिसूचनाएं, पिछले साल संसद द्वारा पारित चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 का हिस्सा हैं. इसमें ‘सर्विस वोटर’ के लिए चुनाव संबंधी कानून को लैंगिक रूप से तटस्थ (न्यूट्रल) बनाना भी शामिल है.
दूर-दराज के क्षेत्रों में नियुक्त सैनिकों या विदेश में स्थित भारतीय मिशन के सदस्यों को ‘सर्विस वोटर’ माना जाता है.
कानून मंत्री किरेन ट्विटर के जरिये घोषणा की कि इस सिलसिले में चुनाव आयोग के परामर्श से चार अधिसूचनाएं जारी की गई हैं. अधिसूचनाएं मतदाता सूची के डाटा को आधार से जोड़े जाने में सक्षम बनाएंगी ताकि एक ही व्यक्ति के कई स्थानों पर मतदाता सूची में नाम होने की समस्या दूर की जा सके.
उन्होंने कहा कि अब किसी भी वर्ष एक जनवरी या एक अप्रैल या एक जुलाई या एक अक्तूबर को 18 साल की आयु पूरी करने वाला नागरिक मतदाता के तौर पर पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकेगा.
‘ये चार तिथियां मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या बढ़ाएंगी.’
अभी तक, एक जनवरी को 18 साल की आयु पूरी करने पर ही कोई नागरिक मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन कर सकता है. एक जनवरी के बाद 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों को पूरे एक साल इंतजार करना पड़ता है.
चुनाव संबंधी कानून को लैंगिक रूप से ‘न्यूट्रल’ बनाये जाने पर कहा कि ‘पत्नी’ शब्द को हटाकर ‘जीवनसाथी’ शब्द शामिल किया जाएगा, जो ‘सर्विस वोटर’ मतदाता की पत्नी या पति को मतदान के लिए उपलब्ध सुविधा प्राप्त करने की अनुमति देगा.
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग अब चुनाव संबंधी सामग्री रखने और सुरक्षा बलों तथा मतदान कर्मियों को ठहराने के लिए किसी भी परिसर की मांग कर सकता है.