नई दिल्ली. भारत-बांग्लादेश की सीमा से सटे क्षेत्रों में एनआरसी का प्रभाव और डर स्पष्ट दिखने लगा है. सरकार द्वारा एनआरसी को लेकर नीति स्पष्ट करने के बाद से ही बाहर से आकर अवैध रूप से बसने वाले घुसपैठियों में खलबली मची हुई है.
एक समाचार पत्र के अनुसार जो लोग कभी सीमा पर तैनात सुरक्षाबालों की निगरानी से बचते-बचाते चोरी छिपे भारत में घुस आए थे, आज वे सभी वापस सीमा पार जाने लगे हैं. यही कारण है कि बंगाल के सीमावर्ती गांवों में एकदम सन्नाटा पसर गया है. बांग्लादेश से आए यह लोग चाय-पत्ती तोड़ने से लेकर रुई धुनने और घर बनाने का काम किया करते थे.
एनआरसी के बाद अवैध शरणार्थियों के गांव छोड़कर जाने के बाद स्थानीय विधायक ने राजनीति भी शुरू कर दी है. विधायक अली इमरान ने एक सभा बुलाई थी, इसमें वामपंथी नेता कन्हैया कुमार भी शामिल हुए थे. सभी ने एक स्वर में पानी पी-पी कर एनआरसी और बीजेपी सरकार को कोसा.
दरअसल, बीएसएफ का कोकरौदा कैम्प बंगलादेश सीमा के बेहद समीप है. इसके करीब दर्जनों ऐसे गांव हैं जो एनआरसी के फैसले के बाद सूने हो गए हैं. पास के ही एक गांव पंडितपारा के रहने वाले मोहम्मद शमशाद आलम ने बताया कि अधिकतर गांव पूरी तरह से खाली हो गए हैं. इन गांवों में रहने वाले लोग अब सीमा पार करके वापस जाने लगे हैं.