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नूह हिंसा – बजरंग दल कार्यकर्ता अभिषेक सहित पुलिस कर्मी हुए कट्टरपंथी हिंसा का शिकार

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नूह में ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा पर हमले के बाद भड़की हिंसा की आग अन्य शहरों में भी पहुंच गई है. बजरंग दल कार्यकर्ता सहित पुलिस कर्मी व अन्य कट्टरपंथी हिंसा का शिकार हो गए.

शक्ति सिंह

भादस गांव का शक्ति सिंह भी इस कट्टरपंथी हिंसा का शिकार हुआ. भादस गांव का शक्ति सिंह प्रतिदिन की तरह नगीना में हलवाई की दुकान पर काम करके अपने घर जाने के लिए निकला तो उसने उम्मीद भी नहीं की होगी कि वह अपने घर सुरक्षित नहीं पहुंच पाएगा. ना तो वह किसी धार्मिक शोभायात्रा का हिस्सा था, ना ही किसी संगठन से जुड़ा हुआ. वह सिर्फ एक आम आदमी की तरह हलवाई की दुकान पर काम करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था.

लेकिन कट्टरपंथियों ने उसे घर वापस जाने से पहले ही रास्ते में दबोच लिया और पीट-पीटकर जान से मार डाला. इतना ही नहीं, उसके शव को सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया. जहां से पुलिस को देर रात उसका शव प्राप्त हुआ और पुलिस उसे लेकर मांडीखेड़ा सिविल अस्पताल पहुंची. शव मंगलवार को पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सौंप दिया गया. परिजनों ने बताया कि शक्ति सिंह घर में कमाने वाला अकेला था. उसके चार बच्चे हैं और वह नगीना में एक हलवाई की दुकान पर काम करता था. रात को जब वह दुकान से वापस आ रहा था तो गांव भादस के पास ही एक समुदाय के दंगाइयों ने घेर लिया और जान से मार दिया. जैसे ही शक्ति सिंह का शव गांव भादस में उसके घर पहुंचा तो परिजन रो-रोकर एक ही सवाल पूछ रहे थे कि आखिर उसका क्या दोष था?

अभिषेक

पानीपत के नूरवाला क्षेत्र का निवासी अभिषेक लगभग 100 लोगों के साथ नूह के नल्हड मंदिर जलाभिषेक के लिए गया था. इस दौरान मंदिर में पूजा करके निकलने के कुछ ही देर बाद ही 250 लोगों की भीड़ ने अचानक हमला कर दिया. भीड़ महिलाओं की तरफ आगे बढ़ी तो पहले उन्हें सुरक्षित निकालने लगे. इसी बीच भीड़ की तरफ से फायरिंग शुरू हो गई. अभिषेक को गोली लगी और वह वहीं गिर पड़ा. अभिषेक के साथ चल रहे व्यक्ति ने उन्हें उठाने की कोशिश की, पर वो अचेत हो गए थे. भीड़ को नजदीक आता देख कार्यकर्ता अन्य महिलाओं को सुरक्षित निकालने के लिए मंदिर की ओर बढ़े. इसी बीच भीड़ अभिषेक तक पहुंच गई और तालिबानी अंदाज़ में अभिषेक का गला काटा और बाद में पत्थरों से सिर को कुचल डाला. जिससे अभिषेक की मौके पर ही मौत हो गई.

प्रदीप कुमार

वाटिका कुंज ( मरूतिकुंज) निवासी प्रदीप कुमार, बादशाहपुर के बजरंग दल प्रखंड संयोजक थे. बर्तनों की छोटी सी दुकान चलाते थे. आर्थिक स्थित कुछ बहुत अच्छी नहीं थी. 31 जुलाई को नूह से निकल कर आ रहे थे. सोहना से दो किलोमीटर की दूरी पर रोजकमेव में बड़ी भीड़ खड़ी थी, जिसने इनकी गाड़ी को रोक लिया. गाड़ी में 4 लोग थे, कुछ घायल अवस्था में जैसे-तैसे भागकर निकल आए. प्रदीप हमलावरों से घिर गए थे, और निकल नहीं सके. हमलावर प्रदीप को मरणासन्न अवस्था में छोड़ गए. बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां एक अगस्त को अस्पताल में प्रदीप की मौत हो गई.

होमगार्ड गुरसेवक सिंह

नूंह में ब्रजमंडल यात्रा पर हुए पथराव व भड़की हिंसा ने फतेहाबाद के टोहाना खंड के गांव फतेहपुरी निवासी होमगार्ड 32 वर्ष के गुरसेवक सिंह को भी लील लिया।.गुरसेवक अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था. उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. 24 जुलाई को वह घर आकर वापस गुरुग्राम गया था. सोमवार को वह पुलिस टीम के साथ गाड़ी में गुरुग्राम से मेवात जा रहा था. उस दौरान उपद्रवियों ने गाड़ी पर पथराव व फायरिंग कर दी. इस उपद्रव में दो होमगार्ड की मौत हो गई, जिनमें एक गुरसेवक सिंह था.

गंभीर हालत में घायल गुरसेवक को सोहना के निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया. गुरसेवक सिंह के पिता साहसी सिंह खेतीबाड़ी करते हैं. कट्टरपंथियों ने मां-बाप का इकलौता बेटा छीन लिया, वहीं दो बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया.

होमगार्ड नीरज कुमार

31 जुलाई को नूह में ब्रजमंडल यात्रा पर पथराव कर दिया गया था. हिंसा रोकने के लिए गुरुग्राम से भी पुलिस टीम भेजी गई थी. जब वे नूंह जा रहे थे तो उनकी गाड़ी पर भी पथराव किया गया. इस दौरान नीरज कुमार भी बलिदान हो गया. सोमवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे यानि हिंसा के दिन ही नीरज ने परिवार को बताया था कि वे नूंह जा रहे हैं. शाम को उनकी मौत की खबर आ गई.

नीरज के 2 बच्चे हैं. इनमें 7 साल का बेटा और 5 साल की लड़की है. उनके बलिदान होने से परिवार के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है. नीरज गुरुग्राम का रहने वाला था. नीरज के पिता चिरंजी लाल फौज में रहे. उन्होंने करगिल की जंग में दुश्मनों के दांत खट्‌टे किए थे. अब उनका बेटा 31 जुलाई को नूंह में दंगाईयों के उपद्रव के बीच ड्यूटी निभाते हुए जान गंवा बैठा. नीरज के पिता चिरंजी लाल हिंसा में बेटे की मौत से आहत हैं. वे कहते हैं कि मैंने हमेशा देश की सेवा की है. करगिल की लड़ाई भी लड़ी है. मुझे गर्व है कि मेरा बेटा कर्तव्य निभाते हुए बलिदान हुआ. मैं पोते-पोतियों को भी देश की सेवा में भेजूंगा.

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