करंट टॉपिक्स

“कभी ग्रामीणों ने डायन घोषित किया था, अब महिला के प्रयासों को सम्मानित कर सरकार ने दिया पद्मश्री”

Spread the love

रांची. कभी जिस महिला को ग्रामीणों ने डायन घोषित किया था और प्रताड़ित किया था. उसके बावजूद महिला ने होर नहीं मानी और परिस्थिति के साथ संघर्ष किया. आज सरकार ने पद्मश्री प्रदान कर उनके संघर्ष को सम्मानित किया है.

वर्ष 1995, झारखंड (वर्तमान) के बिरबाँस गांव में तांत्रिक और पंचायत ने एक छुटनी महतो को डायन घोषित कर दिया था. उसके घर में घुसकर लोगो ने उससे बलात्कार करने की कोशिश भी की, सफल नहीं हुए और फिर 500 रुपये जुर्माना लगा डाला. उन्हें लगा कि जुर्माना चुकाकर वो छूट जाएगी, लेकिन नहीं, एक सुबह भीड़ ने दरवाजा तोड़ा और ज़बरदस्ती मानव मल पिलाने का प्रयास किया. वो रोती रही, छोड़ने की विनती करती रही….परंतु अंधविश्वास में भीड़ अंधी थी और पति डर से बचाने के लिए आगे भी बढ़ ना सका.

गांव वाले उसे कभी भी मार सकते थे. इसीलिए किसी आधी रात अपने 4 बच्चों को लेकर महिला घर से छोड़कर भाग निकली और आठ महीने तक गांव से दूर बच्चों का भरण पोषण किया. भारतीय महिलाएं संघर्षशील होती हैं, संकटों से पार पाना अच्छी तरह जानती हैं. नेतृत्व क्षमता होती है, छुटनी महतो के रूप में झारखंड में व्यक्तित्व खड़ा हुआ.

छुटनी महतो ने समाज में डायन का ठप्पा लगी औरतों को संगठित करके उन्हें इससे लड़ना सिखाया. महतो ने मायके में रहकर ही अपने चारों बच्चों को शिक्षा दीक्षा दी और डायन के नाम से समाज का तिरस्कार झेल रही महिलाओं का एक संग़ठन खड़ा करके 25 साल तक जनजागरण अभियान चलाकर समाज से इस कुप्रथा को मिटाने का काम किया, ताकि फिर किसी छुटनी महतो के साथ ऐसा दुर्व्यवहार ना हो. एक आंकड़े के अनुसार झारखंड में पिछले 20 वर्षों में 16,000 महिलाएं डायन घोषित करके मारी जा चुकी हैं.

केंद्र सरकार ने छुटनी महतो के संघर्ष को नमन करते हुए “पद्मश्री” पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *