नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणामों के बाद से जारी हिंसा और आतंक को लेकर अकादमिक जगत में भी रोष है. सेवानिवृत्त सैन्य, न्यायिक, प्रशासनिक, राजनयिक अधिकारियों, खेल जगत की हस्तियों, देशभर की 2000 से अधिक महिला अधिवक्ताओं के पश्चात अब अकादमिक जगत के 600 से अधिक प्रोफेसर और विद्वानों ने बंगाल हिंसा की घटनाओं की निंदा की है.
विद्वतजनों ने कहा कि प. बंगाल की एक बहुत बड़ी आबादी आज डर के माहौल में जी रही है, क्योंकि बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांगेस के खिलाफ वोट करने वालों को निशाना बनाया जा रहा है. बंगाल सरकार को संवैधानिक मानदंडों और प्रोटोकॉल के साथ छेड़छाड़ नहीं करने की चेतावनी दी. साथ ही राज्य में बदले की राजनीति बंद करने की अपील की.
प्रो. प्रकाश सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो. गोवर्धन दास, जेएनयू, डॉ. जेएसपी पांडे, लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रो. जया कुमार, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय, प्रो. गोपाल रेड्डी – उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद सहित 600 से अधिक कुलपति, निदेशक, डीन और पूर्व वीसी ने जारी बयान में कहा कि तृणमूल कांगेस से जुड़े आपराधिक तत्व गांव और कस्बों में लोगों के ऊपर हमला कर रहे हैं. लोगों की संपत्तियां लूट ली गई हैं. ऐसे में उनके सामने संकट पैदा हो गया है. ऐसी खबरें हैं कि चुनाव के बाद हुई हिंसा में महिलाओं सहित दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. बंगाल में सत्ताधारी पार्टी की ओर से समर्थित गुंडों के डर से हजारों लोग अपना सब कुछ छोड़कर पड़ोसी राज्यों ओडिशा, झारखंड और असम में शरण ले रहे हैं. बावजूद इसके पुलिस, स्थानीय प्रशासन, समाज और मीडिया या तो अपराधियों के साथ है या फिर राज्य सरकार के डर से चुप है.
हम बंगाल में उन लोगों के लिए चिंतित हैं, जिन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने के कारण सत्ताधारी दल के क्रोध का सामना करना पड़ा. हम समाज के उन कमजोर वर्गों को लेकर चिंतित हैं, जिन्हें भारत के नागरिक के रूप में मिले अधिकार का प्रयोग करने के कारण सरकार सरकार की ओर से प्रताड़ित किया जा रहा है.