पालघर (विसंकें). पालघर में साधुओं की हत्या के मामले में पुलिस आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट ही दाखिल नहीं कर पाई, जिस कारण 28 आरोपियों को अदालत से जमानत मिल गई. आरोपियों के खिलाफ सबूत नहीं मिल पाए हैं.
पालघर के एक सेशन कोर्ट ने सोमवार को 28 आरोपियों को जमानत दे दी. दहानू सेशन कोर्ट ने पालघर लिंचिंग मामले में 28 आरोपियों को जमानत दे दी क्योंकि पुलिस आरोपियों के खिलाफ 90 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रही है.
हालांकि 28 आरोपियों में से सिर्फ 10 ही आरोपी जेल से बाहर आ पाएंगे. क्योंकि 18 पर दूसरे मामलों में भी आरोप हैं और उस मामले से संबंधित चार्जशीट में नाम हैं. न्यायिक मजिस्ट्रेट एम.वी. जावले ने सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत प्रत्येक को 30 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी है.
महाराष्ट्र के पालघर में 16-17 अप्रैल की रात गुजरात जा रहे दो साधुओं को ड्राइवर समेत भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. मामले की जांच कर रही महाराष्ट्र सीआईडी को 28 आरोपियों के खिलाफ सबूत मिलना बाकी है और इसलिए उन्हें जमानत दे दी गई.
इन 28 आरोपियों को 18 और 30 अप्रैल को पुलिस ने हिरासत में लिया था. 28 में से 18 आरोपियों का नाम तीसरे चार्जशीट में शामिल था. 15 जुलाई को एक चार्जशीट दायर की गई, जिसमें 126 अभियुक्तों के नाम थे. जिन 28 आरोपियों को जमानत मिली है, इस चार्जशीट में उनके नाम नहीं हैं. आरोपियों के खिलाफ हत्या के प्रयास, लोक सेवकों को अपने कर्तव्य निर्वहन से रोकने, लोक सेवक को नुकसान पहुंचाने, खतरनाक हथियारों के साथ दंगा सहित अन्य मामले दर्ज हैं.
आरोपियों को जमानत मिलने का एक कारण माना जा सकता है कि असली गुनहगारों पर ध्यान केंद्रित करने के स्थान पर अत्यधिक संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिस कारण अब उनके खिलाफ सबूत जुटाने में समस्या आ रही है. साधुओं की हत्या के मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग उठती रही है.