मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर कोई रोक क्यों नहीं ?
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक होना किसी अभिशाप से कम नहीं है. वे चाहे फिर हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध कोई भी हो. हिन्दुओं के साथ अमानवीय बर्बरता व अत्याचार जैसी घटनाएँ देखने को मिलती रहती हैं. पाकिस्तानी मीडिया व पाकिस्तानी हुक्मरान ऐसी घटनाओं पर लगातार पर्दा डालने का काम करते हैं. हर छोटी बड़ी घटना पर मानवाधिकार हनन की दुहाई देने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भी पाकिस्तान में उत्पीड़न की घटनाओं पर मूकदर्शख बने रहते हैं.
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की एक ओर घटना पाकिस्तान के सिंध प्रांत (Sindh Provinance) से सामने आई है. सिंध प्रांत के उमरकोट (Umerkot) में कोल्ही समुदाय से संबंध रखने वाले एक परिवार के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज की है. FIR, वो भी सिर्फ़ इसलिए कि यह परिवार शादी के दौरान DJ पर संगीत बजा रहा था. DJ बजाए जाने को लेकर समारो पुलिस ने दूल्हे चंदर कोल्ही को ना सिर्फ़ अपमानित किया, बल्कि पूरे परिवार और रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कर दी.
पाकिस्तान के दक्षिण प्रांत में रहने वाले कोल्ही समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है. इस समुदाय के ख़िलाफ़ यहाँ हर रोज़ अनेक तरह के अत्याचार होते रहते हैं. उनकी बेटियों का जबरन अपहरण कर धर्म परिवर्तन करना, मुस्लिम युवक संग निकाह करना, बलात्कार जैसी घटनाएँ आम बात हैं.
मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर से कोई समस्या नहीं?
विडंबना ही कहेंगे कि एक तरफ़ उसी पाकिस्तान में मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर से तेज आवाज़ में हर रोज़ जान की जाती है. नेताओं के चुनाव प्रचार में तेज DJ साउंड और लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जाता है. अय्याशियों में डूबे राजनेता अक्सर तेज अवाज में मुजरा कराते और नाचते गाते नज़र आते हैं. लेकिन उसी पाकिस्तान का यह अल्पसंख्यक हिन्दुओं के ख़िलाफ़ दोहरा चरित्र ही है, जो एक अनुसूचित जाति के परिवार के ख़िलाफ़ शादी में DJ बजाए जाने को लेकर केस कर दिया जाता है.