नक्सलियों पर शिकंजा कसने तथा एक राज्य से दूसरे राज्य में आवागमन पर अंकुश लगाने के लिए छत्तीसगढ़ सहित चार राज्यों की पुलिस मिलकर अभियान को तेज करेगी. राज्यों ने नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर साझा रणनीति तैयार करने के लिए एक बैठक भी की है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर अन्य राज्यों को भी अभियान में शामिल किया जा सकता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा में नक्सलियों के सफाए के लिए पुलिस व सुरक्षा बल समन्वित रूप से अभियान चलाएंगे. नक्सलियों से जुड़ी हर सूचना आपस में साझा करेंगे. साथ ही, हर महीने डीजीपी स्तर की बैठक में अभियान की समीक्षा भी करेंगे.
नए ठिकाने तलाश रहे नक्सली
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के नक्सल विरोधी ऑपरेशन के बाद नक्सली नए ठिकाने तलाश रहे हैं. सुरक्षा बलों का मानना है कि इस समय नक्सली काफी कमजोर स्थिति में हैं. उनका प्रभाव क्षेत्र लगातार सिमट रहा है. घटनाओं को अंजाम देने के उनके प्रयास लगातार असफल हो रहे हैं. इसलिए नए क्षेत्रों में प्रभाव जमाने का प्रयास कर रहे हैं.
राज्यों के मध्य सहयोग निरंतर बढ़ रहा है. समय की आवश्यकता के अनुसार राज्य मिलकर रणनीति तय करने के लिए तैयार हैं. नक्सलियों के ट्राईजंक्शन को ध्यान में रखकर राज्यों की समन्वित रणनीति का क्रम काफी पहले शुरू हो गया था. उस समय तीन समूह में ट्राई-जंक्शन के अंतर्गत आंध्र प्रदेश- महाराष्ट्र- छत्तीसगढ़, ओडिशा-झारखंड-छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल-झारखंड-ओडिशा को शामिल किया गया था. वर्ष 2018 में नक्सलियों के नए क्षेत्रों की ओर सुरक्षा बलों का ध्यान गया, पता चला कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बॉर्डर के जंगलों में नक्सली ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं.
सीमावर्ती क्षेत्रों में भागते हैं नक्सली
सुकमा और बीजापुर नक्सलियों का कोर हिस्सा माना जाता है. जहां से ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र का नक्सल प्रभावित क्षेत्र जुड़ा हुआ है. कोई भी राज्य ऑपरेशन शुरू करता है तो नक्सली सीनार्ती क्षेत्र में दूसरे राज्य के जंगलों में छिप जाते हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश की पुलिस भी छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा राज्यों के साथ नक्सलियों, ड्रग्स तस्करी के खिलाफ मिलकर लड़ेगी. इनके साथ मैकेनिज्म तैयार करने पर काम चल रहा है. सुरक्षाबलों की कार्रवाई और केंद्र व राज्यों की समन्वित रणनीति से नक्सल प्रभाव क्षेत्र लगातार सिमट रहा है और नक्सली घटनाओं की संख्या भी कम हुई है.