भोपाल. कोरोना संकट काल में लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हुआ है. लोगों की जीवन शैली में परिवर्तन आया है. लेकिन, इसी कोरोना संकट काल ने हमें बहुत कुछ सिखाया भी है. हमने एक साथ मिलकर कठिन परिस्थितियों में मार्ग ढूंढ निकाला है, स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बने हैं, जरूरतमंदों की सहायता के लिए समाज स्वतः खड़ा हुआ. समाज में सकारात्मक परिवर्तन के अनेक समाचार हमारे सामने हैं.
इसी क्रम में पन्ना जिले में एक सकारात्मक पहल का उदाहरण सामने आया है. इसकी शुरूआत की है 14 वर्ष की एक स्कूली छात्रा ने. कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई तो छात्रा ने पहल कर अपनी पाठशाला शुरू कर दी.
पन्ना जिले का धनुजा गांव, वनवासी बहुल एक छोटे से गांव में शिक्षा व्यवस्था के नाम पर सिर्फ एक प्राइमरी स्कूल है. लॉकडाउन के चलते वह स्कूल भी पूरी तरीके से बंद पड़ा था. स्कूल बंद होने से गांव के बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे हैं, बच्चे दिनभर गली में घूमते-खेलते रहते हैं. बच्चों की शिक्षा व भविष्य को लेकर चिंता हुई तो नंदिनी ने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने पिता से चर्चा की. बच्ची की इस बात को सुनकर पिता भी प्रभावित हुए और बच्चों को पढ़ाने के लिए हां बोल दिया.
जिसके पश्चात 14 साल की बच्ची ने गांव के सभी बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया और शुरू कर दिया कक्षा लगाकर बच्चों को पढ़ाना. नंदिनी स्वयं दूसरे गांव के स्कूल में कक्षा 8 में अध्ययनरत है. गांव वाले भी नंदिनी की बात सुनकर काफी प्रभावित हुए, जिसके बाद नंदिनी ने 5 जुलाई से बच्चों को अपने घर पढ़ाना शुरू कर दिया. नंदिनी ने 25 बच्चों का समूह बनाकर बारी-बारी से उनकी कक्षा लगाना शुरू कर दिया.
वनवासी बहुल्य इस छोटे से गांव की बेटी बड़ा संदेश दिया है, उसने ना केवल लॉकडाउन के दौरान अपनी पढ़ाई जारी रखी, बल्कि गांव के अन्य बच्चों के बारे में भी चिंता की. और उन्हें पढ़ाना शुरू किया.