नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में कल्याणी नदी का जीर्णोद्धार प्रवासी श्रमिकों द्वारा मनरेगा के माध्यम से शुरू किया गया. कोरोना संकट के समय अन्य राज्यों से लौटे श्रमिकों को जहां रोजगार मिला, तो वहीं दूसरी तरफ अपना अस्तित्व खो चुकी कल्याणी नदी का पुनरूद्धार हुआ.
लॉकडाउन के चलते सैकड़ों प्रवासी श्रमिकों ने घर वापसी की. इन्हें रोजगार देना सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी. ऐसे संकट की घड़ी में मनरेगा योजना श्रमिकों को रोजगार देने में सफल साबित हुई. इस पहल से श्रमिकों को रोजगार के साथ-साथ विलुप्त हो रही नदियों को फिर से संवारने का कार्य शुरू हुआ.
मोक्षदायिनी के नाम जानी जाने वाली कल्याणी नदी कोरोना संकट के समय प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगारदायिनी बन गई. बाहर से आए श्रमिकों ने क्वारेंटाइन में रहते हुए काम किया. किसानों के लिए जीवनदायिनी रही कल्याणी नदी कई सालों से सूखी पड़ी थी, लोग नदी के तटों पर अवैध कब्जा करते गए जिससे नदी धीरे-धीरे लगभग समाप्त हो चुकी थी. अब फिर से कल्याणी नदी का उद्धार होते देख आप-पास के लोग उत्साहित हैं. यहां काम कर रहे श्रमिकों को मेहनताने के रूप में दो सौ एक रुपया सीधे उनके खाते में आ जाता है. नदी के आस-पास के गांवों की भी साफ-सफाई से लेकर सड़क, नहर, पौधारोपण और तालाबों को पुनर्जीवित किया जा रहा है.
फतेहपुर तहसील के ग्राम मवइया के पास पहले चरण में 26 सौ मीटर के दायरे में कल्याणी नदी के दोनों छोर पर निर्माण कार्य अप्रैल माह में शुरू किया गया था. अपना अस्तित्व खो रही इस नदी को उसके वास्तविक रूप में लाने के लिये मनरेगा के तहत संवारने की कार्य योजना तैयार की गई. पहले चरण में 69 लाख की लागत से 26 सौ मीटर नदी के दोनों ओर जंगल झाड़ियों को काटने के साथ-साथ करीब डेढ़ मीटर गहरा किया गया. इस कार्य मे 625 मनरेगा श्रमिकों को लगाया गया था.
दूसरे चरण का काम हैदरगंज गांव के पास शुरू किया गया. 12 सौ मीटर के दायरे में नदी का पुनरुद्धार किया जा रहा है. चरण में 25 लाख की लागत से काम कराया जा रहा है. इस बार 195 मनरेगा श्रमिकों को लगाया गया है.
कल्याणी नदी के पुनरूद्धार कार्य में लगे प्रवासी श्रमिकों की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में की. पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि ‘यूपी के बाराबंकी में गांव लौटकर आए मजदूरों ने कल्याणी नदी का प्राकृतिक स्वरूप लौटाने के लिए काम किया है. नदी का उद्धार होता देख आसपास के किसान और आसपास के लोग भी उत्साहित हैं. गांव में आने के बाद क्वारेंटाइन और आइसोलेशन सेंटर में रहते हुए हमारे श्रमिक साथियों ने जिस तरह अपने कौशल्य का इस्तेमाल करते हुए अपने आसपास की स्थितियों को बदला है, वह अद्भुत है.
प्रधानमंत्री द्वारा कल्याणी नदी की सफाई में प्रवासी श्रमिकों के योगदान की सराहना करने पर उनका उत्साह पहले से भी अधिक बढ़ गया है. इस बात में कोई संदेह नहीं कि अब कल्यणी नदी का प्राकृतिक स्वरूप उद्गम स्थल से लेकर अंतिम छोर तक बहाल होगा.