करंट टॉपिक्स

सकारात्मक – गोंडा की पौराणिक मनवर नदी पुराने स्वरूप में लौटने लगी

Spread the love
पुनरुद्धार कार्य शुरू करने से पहले पूजन

नई दिल्ली. कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन से उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासी श्रमिकों के सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हो गया था. समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने सूझ-बूझ से काम लिया और वर्तमान परिस्थिति को अवसर में बदलने के लिए मनरेगा के तहत नदियों के जीर्णोद्धार का कार्य प्रवासी श्रमिकों को सौंपा. गोंडा जिले में लौटे दो हजार प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देकर उन्हें काम दिया.

घर लौटे गोंडा जिले के प्रवासी श्रमिक पौराणिक मनवर नदी के जीर्णोद्धार का कार्य कर रहे हैं. कई सालों से मनवर नदी विलुप्त हो चुकी थी. जिसे अब पुराने स्वरूप में संवारने का प्रयास किया जा रहा है. प्राकृतिक सौंदर्य की प्रतीक और महर्षि उद्यालक की तपस्थली तिर्रेमनोरमा से मनवर नदी का उद्गम हुआ था. इस कार्य में लगभग चार हजार श्रमिक कार्य कर रहे हैं. जिनमें दो हजार स्थानीय व दो हजार प्रवासी श्रमिक शामिल हैं.

मनरेगा के तहत विश्व पर्यावरण दिवस पर जिला प्रशासन ने मनवर नदी जीर्णोद्धार योजना की शुरूआत की और लगभग चार हजार श्रमिकों को रोजगार दिया. जिसमें स्थानीय व अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिक हैं. खाली बैठे सभी श्रमिक रोजगार पाकर खुश हुए और मनवर नदी को फिर से पुरानी पहचान दिलाने के लिए दिन-रात काम पर जुट गए. 22 करोड़ की लागत से पांच ब्लॉक तथा 41 ग्राम पंचायतों से लगभग 82 किमी दूरी तय करने वाली मनवर नदी के जीर्णोद्घार का कार्य प्रगति पर है. नदी के दोनों तरफ 55 हजार पौधे रोपने का भी कार्य चल रहा है.

प्राकृतिक सौंदर्य की प्रतीक मनवर नदी गोंडा जिले के 125 गांवों के लिए जीवनदायिनी है. आस-पास के किसान खेती के लिए इसी नदी पर निर्भर रहते हैं. यह नदी तिर्रेमनोरमा से होते हुए मनकापुर से बस्ती जिले तक बढ़ते-बढ़ते विशाल रूप ले लेती है और सरयू में समाहित हो जाती है. इसीलिए इस ऐतिहासिक स्थल से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है. मनवर नदी के तट पर तिर्रेमनोरमा में कार्तिक पूर्णिमा मेले में लाखों लोग स्नान करके पूजा-अर्चना व दान की परंपरा भी है.

आजादी की क्रांति की यादों को भी समेटे हैं गांव

मनवर नदी के किनारे तिर्रेमनोरमा गांव को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी गोंडा के राजा महाराजा देवी बख्श सिंह ने बसाया था. इसलिए यह स्थल राजपूतों के शौर्य से भी जुड़ा है. यह स्थान 84 कोसी परिक्रमा के दायरे में आता है. इस तरह कई ऐतिहासिकता को अपने से जोड़े हुए इस स्थल का दर्शन करने के लिए लोग दूरदराज क्षेत्रों से आते हैं.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *