महाकुम्भ नगर।
कुम्भ मेले में परिजनों के बिछड़ने का मिथक एक कहावत का रूप ले चुका था। लेकिन प्रयागराज महाकुम्भ में यह मिथक टूटता दिखाई देगा। प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में डिजिटल खोया-पाया केन्द्र का निर्माण किया गया है जो बिछड़े हुए को उनके परिवार से मिलाएगा। महाकुम्भ में खोया-पाया केन्द्र का लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जा चुका है। पूरे मेला क्षेत्र में पांच केन्द्रों का संचालन किया जाएगा। जहां से विभिन्न भाषाओं में घोषणा की जाएगी।
परिजनों से बिछड़े श्रद्धालु की तलाश की प्रक्रिया पंजीकरण से शुरु की जाएगी। सूचना मिलते ही श्रद्धालु का डिजिटल पंजीकरण किया जाएगा। पंजीकरण होते ही मेला परिसर में केन्द्र द्वारा संचालित एआई कैमरे सक्रिय हो जाएंगे। इस प्रक्रिया में चेहरा पहचानने वाली आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा जो फोटो खींचकर गुमशुदा की तलाश कर लेगा।
वर्ष 2019 के कुम्भ में अनुमानतः 25 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगायी थी। 2025 के महाकुम्भ में लगभग 40-45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। 25 सेक्टर में बने मेला क्षेत्र को 4000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बसाया गया है। इसमें 328 एआई कैमरे और दो कमांड सेन्टर की निगरानी में 2700 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त उच्च तकनीकी की अन्य सुविधाओं के माध्यम से भी खोये श्रद्धालुओं की तलाश की जाएगी। जैसे – सोशल मीडिया के दो प्लेटफॉर्म फेसबुक एवं एक्स का भी उपयोग किया जाएगा।
मेले में खोए हुए श्रद्धालुओं को ढूंढने के बाद परिवार को सौंपने से पहले पहचान का प्रमाण लिया जाएगा। खोया-पाया केन्द्र द्वारा खोये हुए बच्चे या महिला को पाने के बाद परिवार से पहचान का प्रमाण मिलने के बाद ही सौंपा जाएगा।