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प्रयागराज महाकुम्भ – 73 देशों के राजनयिकों ने महाकुम्भ में सनातन संस्कृति के प्रवाह को जाना

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महाकुम्भ नगर। प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में केवल भारत के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि विश्व के विभिन्न देशों से भी लोग आ रहे हैं। इसी क्रम में सनातन संस्कृति के प्रवाह को देखने के लिए शनिवार (01 फरवरी) को राजनयिकों का दल भी महाकुम्भ में पहुंचा। इनमें हेड्स ऑफ मिशन (HoM), SHoM के अलावा 73 देशों के राजनयिक शामिल रहे। इस दौरान उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी महाकुम्भ में उपस्थित रहे। उप-राष्ट्रपति व विदेशी मेहमानों ने संगम में डुबकी लगाई।

116 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दिव्य-भव्य, नव्य महाकुम्भ को देख अभिभूत हो उठा। अतिथियों ने कहा कि महाकुम्भ भारतीय संस्कृति व धरोहर को दर्शाता है। प्रयागराज पहुंचकर संगम में स्नान पर खुद को सौभाग्यशाली बताया। अतिथियों ने राज्य सरकार व विदेश मंत्रालय द्वारा राजनयिकों के लिए की गई व्यवस्था पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रयागराज पहुंचने पर अतिथियों का स्वागत किया गया।

राजनयिकों ने अक्षय वट, सरस्वती कूप और लेटे हुए हनुमान मंदिर में भी दर्शन किये। जिन देशों के राजनयिकों ने महाकुम्भ में शिरकत की, उनमें अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, रूस, स्विट्जरलैंड, जापान, न्यूजीलैंड, जर्मनी, नेपाल और कनाडा शामिल रहे। इससे पूर्व 2019 के कुम्भ में भी 73 देशों के राजनयिकों को आमंत्रित किया गया था।

‘विशेष आयोजन है महाकुम्भ’

‘मुझे बहुत खुशी है कि राज्य सरकार और विदेश मंत्रालय राजनयिकों के लिए इस यात्रा की व्यवस्था कर रहा है। महाकुम्भ मेला बहुत ही विशेष आयोजन है, खासकर इस साल। इसलिए मैं हिन्दू संस्कृति को समझने के लिए उत्सुक हूं।’ – केइची ओनो, भारत में जापान के राजदूत

‘परंपराओं का पालन कर हूं खुश’

‘मैं इस महत्वपूर्ण समारोह में भाग लेकर प्रसन्न हूं। यहां की परंपराओं का पालन करके बहुत खुशी भी हो रही है।’ – मारियानो काउचिनो, भारत में अर्जेंटीना के राजदूत

‘मैं कई वर्षों से भारत से जुड़ी हुई हूं। मैं हमेशा यहां आना चाहती थी, लेकिन कभी भी किसी कुम्भ में जाने का अवसर नहीं मिला। आज यह खास और शुभ महाकुम्भ का समय है, यह सौभाग्य है कि मैं भारत में हूं। मैं यहां के वातावरण का आनंद लूंगी। यह दृश्य मेरी आँखों और आत्मा के लिए गौरवान्वित करने वाला है। मैं यहां पवित्र स्नान करूंगी। यह निश्चित रूप से भारतीय धरोहर और संस्कृति को दर्शाता है, जिस पर गर्व होना चाहिए।’ – डायना मिकेविकिएने, भारत में लिथुआनिया की राजदूत

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