राजस्थान में मंदिरों पर हमलों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. हमने विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित घटनाओं को संकलित करने का प्रयास किया तो सामने आया कि जनवरी 2024 से लेकर अगस्त 2024 तक प्रदेश में 26 मंदिरों को निशाना बनाया गया. अधिकांश मामलों में विग्रह तोड़े गए, तो कहीं मंदिरों के बुर्ज या दीवारों को तोड़ने के प्रयास हुए. संज्ञान में आए मामलों में भरतपुर की 4, अलवर की 3, उदयपुर की 3, भीलवाड़ा की 2, अजमेर की 2 और सिरोही, बारां, जैसलमेर, बीकानेर, गंगापुर सिटी, सिरोही, दौसा, डूंगरपुर, कोटपूतली, करौली एवं जयपुर की 1-1 घटनाएं शामिल हैं. अधिकांश मामले ऐसे भी होंगे, जो मीडिया में नहीं आए. समझा जा सकता है कि स्थिति चिंताजनक है…..
- राजसमंद के कांकरोली स्थित मां राठासेण मातेश्वरी मंदिर का विग्रह तोड़े जाने के बाद मंदिर के गेट पर 7 अगस्त को ताला लगा दिया गया. मंदिर समिति अध्यक्ष पालीवाल व स्थानीय निवासियों के अनुसार पुलिस में दो बार रिपोर्ट दर्ज करायी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. (ज़ी राजस्थान)
- भीलवाड़ा में 30 जुलाई को बनास नदी के तट पर स्थित मंदिर में तोड़फोड़ करने और दीवारों पर नारे लिखने को लेकर कीर समाज में रोष व्याप्त हो गया. रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर से मूर्तियां गायब थीं, मंदिर परिसर में तोड़फोड़ की गई थी. मंदिर में लगे झंडे उतारकर कुएं में फेंक दिए गए थे. (दैनिक भास्कर)
- सिरोही जिले के पिंडवाड़ा में 27 जुलाई को कासिन्द्रा काशी विश्वनाथ मंदिर में बाइक सवार 8 लोगों ने मंदिर में तोड़फोड़ कर पत्थरबाजी की. कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई. (ज़ी राजस्थान)
- जैसलमेर में 25 जुलाई को पीपल के पेड़ के नीचे बने मंदिर में छेड़छाड़ की गई. विहिप कार्यकर्ताओं ने पुलिस से कार्रवाई की मांग की. (फर्स्ट इंडिया न्यूज)
- उदयपुर के जनजातीय क्षेत्र में 20 जुलाई को सरस्वती माता की प्रतिमा के सिर को धड़ से अलग कर दिया गया. ग्रामीणों ने आक्रोश प्रकट करते हुए थाने में मामला दर्ज कराया. (जी राजस्थान)
- अजमेर के किशनगढ़ में 17 जुलाई को मंदिर से शिवलिंग गायब हो गया. क्षेत्रवासियों ने पुलिस को सूचना दी. (जी राजस्थान)
- बारां में 17 जुलाई को ताजिए निकालने के दौरान असामाजिक तत्वों ने प्राचीन गणेश मंदिर के शिखर का गुंबद तोड़ दिया. आक्रोशित हिन्दू समाज और व्यापारिक संगठनों ने घटना के विरोध में बाजार बंद रखा. (दैनिक भास्कर)
- दौसा शहर के एक मंदिर में रहने वाले साधु ने 29 जून को आरोप लगाया कि भूमाफियाओं के इशारे पर असामाजिक तत्व उन्हें परेशान करते हैं. इनकी नजर मंदिर की जमीन पर है. (जी राजस्थान)
- भरतपुर शहर में 27 जून को जाहरवीर बाबा मंदिर की तीन दीवारों को अतिक्रमण बताते हुए प्रशासन ने ही तोड़ दिया. मंदिर की दीवार तोड़ने से नाराज लोगों ने सड़क पर बैठ कर मध्य रात्रि तक विरोध प्रदर्शन किया. लोगों का कहना था कि मंदिर 200 वर्ष पुराना है. प्रशासन ने गलत तथ्यों के आधार पर निर्माण तोड़ा. (ईटीवी भारत)
- भरतपुर जिले के बयाना में 27 जून को शिव मंदिर में अज्ञात समाज कंटकों ने देव प्रतिमाओं को खंडित कर दिया. साथ ही मंदिर के बाहर खड़ी कार को भी क्षतिग्रस्त किया गया. (राजस्थान पत्रिका)
- अजमेर जिले के नसीराबाद में 8 जून को एक महिला ने हनुमान जी की प्रतिमा को खंडित कर दिया. पुलिस ने सीसीटीवी के आधार पर संदिग्ध महिला को डिटेन किया. (जी राजस्थान)
- गंगापुर सिटी के वजीरपुर में 22 मई को उपखंड मुख्यालय के मोहल्ला स्थित शिवालय में अज्ञात समाटकंटकों ने शिव पंचायत को खंडित कर दिया. (राजस्थान पत्रिका)
- अलवर जिले के कोटकासिम के गांव बयाना में 19 मई को 70 वर्ष पुराने शिवालय से असामाजिक तत्वों ने शिवलिंग चोरी कर लिया. (दैनिक भास्कर)
- दौसा जिले के महवा के गांव गाजीपुर में 20 मई को असामाजिक तत्वों ने मंदिर में घुसकर तोड़ फोड़ की और मूर्तियां खंडित कर दीं. (जी राजस्थान)
- अलवर जिले के बानसूर में 16 मई को शिव मंदिर में कुछ समाजकंटकों ने प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया. घटना के बाद लोगों ने विरोध व्यक्त किया. (ईटीवी भारत)
- डूंगरपुर में 24 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन रात्रि को असामाजिक तत्वों ने पुंजपुर के हनुमान मंदिर में स्थापित प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया. ग्रामीणों के अनुसार ओम बन्ना की प्रतिमा को भी नुकसान पहुंचाया गया. (पंजाब केसरी)
- उदयपुर में 22 अप्रैल को माता जी की प्रतिमा खंडित करने पर ग्रामीणों में रोष व्याप्त हो गया. हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा. लोगों ने बताया कि समाजकंटकों ने सदियों पूर्व स्थापित धराल माता मंदिर में घुसकर प्रतिमा को खंडित कर दिया. (प्रातःकाल)
- भीलवाड़ा के लाल घाट बिजासन माता मंदिर में 20 अप्रैल को समाज कंटकों द्वारा पत्थरबाजी की घटना सामने आने से श्रद्धालुओं में रोष व्याप्त हो गया. क्षेत्रवासियों ने पुलिस की लचीली गश्त व्यवस्था पर प्रश्न उठाए. (दैनिक नवज्योति)
- जयपुर के लक्ष्मी नारायण मंदिर में 1 अप्रैल को मांस के टुकड़े फेंकने का मामला सामने आया. इसकी भट्टा बस्ती थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई. घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश देखा गया. (जी राजस्थान)
- कोटा स्थित हनुमान मंदिर में 27 मार्च को श्री राम दरबार की प्रतिमा खंडित कर दी गई. पुलिस ने मामला दर्ज का जांच प्रारंभ की. (दैनिक भास्कर)
- कोटपूतली में 29 फरवरी को असामाजिक तत्वों ने 500 वर्ष पुराने मंदिर को खुर्दबुर्द कर दिया और मूर्तियां वाहन में भरकर ले गए. इसको लेकर मंदिर महंत ने थाने में मामला दर्ज करवाया. (जी राजस्थान)
- करौली में समाज कंटकों द्वारा 12 फरवरी को भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. घटना से नाराज लोगों ने समाज कंटकों पर कार्रवाई की मांग की. (जी राजस्थान)
- भरतपुर जिले के नदबई में 12 फरवरी को असामाजिक तत्वों ने कुमरगढ़ा हनुमान मंदिर में मूर्ति तोड़ दी. ग्रामीणों द्वारा आक्रोश प्रकट करने पर पुलिस ने आरोपी को हिसारत में लिया. (सच बेधड़क)
- अलवर जिले के रामगढ़ में 30 जनवरी को शीतला माता मंदिर और कब्रिस्तान की विवादित भूमि पर शव दफनाने को लेकर विवाद हुआ. (जी राजस्थान)
- भरतपुर जिले के डीग (मेवात क्षेत्र) में 29 जनवरी को असामाजिक तत्वों ने हनुमान मंदिर में भगवान की प्रतिमा के सामने जूता रख दिया. इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने आरोपियों को पकड़ने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. (पंजाब केसरी)
- बीकानेर जिले के कोलायत क्षेत्र के गुड़ा गांव में 17 जनवरी को स्थित लिग्नाइट पावर प्लांट कंपनी पर मंदिर तोड़ने और गोचर भूमि पर अवैध अतिक्रमण करने का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया. (जी राजस्थान)
वर्ष 2023 में ऐसी ही 49 घटनाएं सामने आई थीं.
इस पूरे मामले पर व्यवसायी व समाजसेवी विजेंद्र कहते हैं, मध्यकाल में मुगल आते थे, मंदिर लूटते थे और अपने अहंकार की संतुष्टि व हिन्दुओं के प्रति अपनी घृणा दर्शाते हुए उन्हें तोड़ते थे. पहले बाहर से आए थे, आज उसी मुगलयी मानसिकता के पोषक कुछ लोग देश के अंदर हैं. संविधान और कानून से चलने वाला हिन्दू अराजकता से बचता है और कानून व प्रशासन की ओर देखता है. राजनीति वोट बैंक देखती है, जिसके चलते हिन्दू आस्था हाशिए पर चली जाती है. सामाजिक सौहार्द बनाए रखने का एकतरफा प्रयास लम्बे समय तो नहीं चल सकता.
डीयू में इतिहास की पढ़ाई कर रही शिविका ने कहा, हिन्दू करें भी तो क्या? मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण ने मंदिरों की सनातन व्यवस्था को बहुत कमजोर कर दिया है. भारतीय परंपरा में किसी हिन्दू राजा ने मंदिरों पर अधिकार या नियंत्रण नहीं जताया, न उनसे कर वसूला. लेकिन स्वाधीन भारत में हिन्दू समुदाय को अपने धार्मिक-शैक्षिक-सांस्कृतिक संस्थान चलाने का वह अधिकार नहीं जो अन्य को है.