करंट टॉपिक्स

राजस्थान – महापंचायत में राकेश टिकैत नहीं जुटा पाए किसान

Spread the love

देश में चल रहा किसान आंदोलन किसानों का आंदोलन नहीं रहकर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन बनकर रह गया है. राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में कथित किसान आंदोलन लोगों तक ही सीमित रह गया है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत लाख प्रयास के बाद भी आंदोलन में प्राण नहीं फूंक पा रहे हैं. उत्तरोत्तर टिकैत की किसान महापंचायतें फ्लॉप शो होती जा रही हैं. साफ देखा जा रहा है कि राकेश टिकैत वामपंथियों और भाजपा विरोधी ताकतों के हाथों का मोहरा बन चुके हैं.

करीब चार माह से चल रहे आंदोलन में कथित किसान नेताओं ने केन्द्र सरकार से कई दौर की वार्ताएं कीं. सरकार कृषि कानूनों में कमियां दूर करने के अपने कदम पर कायम रही, लेकिन आंदोलनकारी कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे.

दिल्ली बॉर्डर पर जारी आंदोलन में हरियाणा, पंजाब के कुछ किसान शामिल हैं. आंदोलन से देश भर के किसान सहमत नहीं हैं. किसानों के कई प्रतिनिधि मंडल सरकार के कई मंत्रियों से मिलकर तीन बिलों पर आभार जता चुके हैं. ये आंदोलन नहीं होकर स्वार्थी सिद्धी के लिए विपक्ष का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन है.

आंदोलन किसानों का या विपक्ष का?

राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन फेल हुआ तो किसान फेल हो जाएगा. भारतीय जनता पार्टी को हराने की बात कहने वाले राकेश टिकैत किसान आंदोलन के नाम पर वामपंथियों और विपक्ष की मांग को आगे बढ़ा रहे हैं. किसान आंदोलन अब किसानों का न रहकर सिर्फ वामपंथियों का आंदोलन रह गया है. वामपंथी विचारधारा से जुड़े लोग ही टिकैत के साथ नजर आ रहे हैं.

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर से शुरू हुई लड़ाई दिल्ली के लालकिले पर पहुंचकर उपद्रव में बदल गई. इसके बाद से ही कथित आंदोलन सिमट गया. जयपुर की फ्लॉप रैली में टिकैत ने कहा कि अबकी बार किसान दिल्ली के संसद के बाहर ही अपनी फसल बेचकर दिखाएंगे. टिकैत ने राजस्थान के किसानों को दिल्ली के बेरिकेटिंग तोड़ने का भी आह्वान किया.

जयपुर में किसान रैली से राकेश टिकेत और राजाराम मील को काफी निराशा हुई. मौसम ने भी आंदोलनकारियों का साथ नहीं दिया. रैली के आयोजन की मुख्य भूमिका निभाने वाले राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष और भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राजाराम ने तो अब जयपुर में किसान रैली नहीं करने की बात कह दी. उन्होंने कहा कि इस रैली में किसानों के नहीं आने से काफी निराशा हुई.

राजस्थान के किसान खेतों में फिर आंदोलन में कौन?

राजस्थान में किसानों के बात आगे रखने वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान में वामपंथी दल सियासी जमीन तैयार नहीं कर पाएंगे. बेनीवाल खुद किसानों का समर्थन करते हुए इस आंदोलन में कूदे थे, लेकिन टिकैत की नागौर में रैली के दौरान बेनीवाल के किनारे होने का कारण जानने की जरुरत अब नहीं है.

बेनीवाल की नाराजगी की वजह वोट बैंक है. पश्चिमी राजस्थान के जाट बेनीवाल के साथ हैं. बेनीवाल नहीं चाहते कि राकेश टिकैत इन किसानों के नेता बनें. यही डर नागौर में कांग्रेस जाट नेताओं को सता रहा है. कुल मिलाकर राकेश टिकैत वामपंथी और सरकार के विरोधी लोगों की साजिश में फंस चुके हैं.

किसानों को उम्मीद लगी थी कि इस बार बड़ा आंदोलन होगा और हमारी मांग सरकार के सामने रखी जाएगी. लेकिन विपक्ष की मांगों पर अड़े किसान आंदोलनकारियों के बारे में देश का किसान जान चुका है और इस आंदोलन से दूरियां बना ली है.

किसान डॉ. सांवरमल सोलेट बताते हैं – “राजस्थान में राकेश टिकैत पूरी तरह फेल है, इस आंदोलन में राजस्थान के किसान शामिल नहीं हैं. कामरेड और कांग्रेस के लोग ही मुख्य भूमिका में हैं, जिनका किसानों के हितों से कोई वास्ता नहीं है. ये लोग समाधान नहीं चाहते, केवल राजनीति करना चाहते हैं.

किसान आंदोलन पर किसान कालूराम बागड़ा कहते हैं – “आम किसान केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में है. देश में किसानों के नाम पर राजनीति बंद होनी चाहिए. सरकार को किसानों से सीधा संवाद करना चाहिए.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *