नई दिल्ली. राजपथ (Kingsway) अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा. आज नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) ने प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी. अब गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्तव्य पथ का उद्घाटन करेंगे. साथ ही, इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति का अनावरण भी करेंगे. कर्तव्य पथ का दायरा राष्ट्रपति भवन से शुरू होता है और विजय चौक, इंडिया गेट, फिर नई दिल्ली की सड़कों से होते हुए लाल किले पर समाप्त.
प्रधानमंत्री ने इस साल स्वतंत्रता दिवस भाषण में औपनिवेशिक सोच दर्शाने वाले प्रतीकों को समाप्त करने पर बल दिया था. हालांकि, इस दृष्टि से पहले भी कई नाम बदले जा चुके हैं. साल 2015 में रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया था. 2015 में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया. साल 2017 में डलहौजी रोड का नाम दाराशिकोह रोड किया गया था.
राजपथ की कहानी सन् 1911 से शुरु होती है. तब दिल्ली दरबार में शामिल होने के लिए किंग जॉर्ज पंचम भारत आए थे. ये वही समय था, जब कोलकाता की जगह दिल्ली को ब्रिटिश शासन की राजधानी बनाने की घोषणा हुई थी. इसलिए अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में इसका नाम किंग्सवे रखा था. किंग्सवे नाम सेंट स्टीफेंस कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर पर्सिवल स्पियर ने दिया था. किंग्सवे यानि ‘राजा का रास्ता’
प्रो. पर्सिवल ने केवल किंग्सवे ही नहीं, बल्कि दिल्ली की कई सड़कों का नामकरण करवाया था. कहा जाता है कि अकबर रोड, पृथ्वीराज रोड, शाहजहां रोड आदि नाम उन्हीं की सलाह पर रखे गए थे. पर्सिवल स्पियर सेंट स्टीफेंस कॉलेज में 1924-1940 तक पढ़ाते थे. कॉलेज छोड़ने के बाद वह ब्रिटिश सरकार के भारत मामलों के उप-सचिव बने. उन्होंने भारत छोड़ने के बाद इंडिया, पाकिस्तान एंड दि वेस्ट (1949), ट्वाइलाइट ऑफ दि मुगल्स (1951), दि हिस्ट्री ऑफ इंडिया (1966) सहित अन्य किताबें लिखीं.
किंग्सवे को इडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने बनाया था. ये दोनों ब्रिटिशकाल में प्रसिद्ध आर्किटेक्ट माने जाते थे. दोनों ने दिल्ली की इमारतों और सड़कों को बनाने का काम सरदार नारायण सिंह को दिया था. सरदार नारायण सिंह ने ठेका लिया था.
तब के हिसाब से नारायण सिंह ने बहुत ही मजबूत और किफायती सड़क बनाईं थी. किंग्सवे के रूप में यह सड़क ब्रिटिश हुकूमत की शाही पहचान का प्रतीक थी. स्वतंत्रता के बाद 1955 में इसका नाम बदलकर राजपथ किया गया. जो एक तरह से किंग्सवे का ही हिन्दी अनुवाद था. आजादी के बाद प्रिंस एडवर्ड रोड को विजय चौक, क्वीन विक्टोरिया रोड को डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड, ‘किंग जॉर्ज एवेन्यू’ रोड का नाम बदलकर राजाजी मार्ग किया गया था.
इनपुट साभार – अमर उजाला