नई दिल्ली. भारतीय त्यौहार भारतीय सामान के साथ, का लक्ष्य लेकर छोटे व्यापारियों ने रक्षाबंधन पर चीन को झटका देने की तैयारी की है. छोटे व्यापारियों के संगठन का दावा है कि इस बार को चीन को रक्षा बंधन पर 4000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाएंगे.
छोटे व्यापारियों के संगठन कंफेडेरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने रक्षाबंधन को देशभर में ‘हिंदुस्तानी राखी’ (Hindustani Rakhi) के रूप में मनाने की घोषणा की है. सीआईएटी का दावा है कि इससे चीन (China) को 4,000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान (Trade Loss) होगा. साथ ही वह सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों (Indian Soldiers) के लिए 5,000 राखियां भी भेजेंगे. सीएआईटी ने कहा कि इस साल 3 अगस्त को देश भर में रक्षाबंधन के त्यौहार को ‘हिन्दुस्तानी राखी त्यौहार’ के रूप में मनाने का फैसला किया गया है.
सीएआईटी के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर चीन में बनी राखी और राखी से जुड़े किसी भी सामान का उपयोग नहीं किया जाएगा. वहीं, देश की सीमाओं की रक्षा में लगे सैनिकों (Indian Soldiers) का उत्साह बढ़ाने के लिए कंफेडरेशन की महिला शाखा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) को 5,000 राखियां देगी, जिसे वह हमारे जवानों तक पहुंचा सकें. इसके अलावा देश के हर शहर के सेना अस्पतालों में भर्ती सैनिकों को अस्पतालों में जाकर और विभिन्न शहरों में लोगों की रक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को भी कंफेडरेशन की महिला सदस्य राखी बांधेंगी.
कंफेडरेशन का दावा है कि देशभर में 40,000 से अधिक व्यापारी संगठन (Trader Organisations) और उनके 7 करोड़ सदस्य उससे जुड़े हुए हैं. चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए कंफेडरेशन ने देशभर में ‘भारतीय सामान, हमारा अभिमान’ अभियान चलाया है. एक अनुमान के अनुसार हर साल लगभग 6,000 करोड़ रुपये का राखियों का कारोबार होता है. इसमें अकेले चीन की हिस्सेदारी लगभग 4,000 करोड़ रुपये होती है. कंफेडरेशन की दिल्ली-एनसीआर इकाई के समन्वयक सुशील कुमार जैन ने कहा कि राखी के मौके पर देश में चीन में बनी हुई राखियां आती हैं.
जैन ने कहा कि तैयार राखियों के अलावा राखियां बनाने में उपयोग होने वाले फोम, कागज की पन्नी, राखी धागा, मोती, बूंदे, राखी के ऊपर लगने वाला सजावटी सामान चीन से आयात किया जाता है. कंफेडरेशन के चीनी वस्तुओं के बहिष्कार (Boycott Chinese Goods) के अभियान के चलते इस साल कोई भी चीनी सामान राखी बनाने में इस्तेमाल में नहीं किया जाएगा. इस वजह से चीन को करीब 4 हजार करोड़ रुपये के व्यापार की चपत लगना तय है. कंफेडरेशन ने सभी राज्यों में अपनी इकाइयों और सदस्यों को इस बारे में सूचना भेजी है.