मुंबई (विसंकें). चीन से आयातित राखियों को जवाब देने के लिए पालघर जिले की महिलाओं ने बैंबू से निर्मित 50 हजार राखियां तैयार की हैं. प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान के पश्चात प्रयास शुरू हुए, अब हमारा दायित्व है कि इस अभियान में सहयोग करें.
केशव सृष्टि, संस्था पिछले कई वर्षों से भयंदर में कार्यरत है. इस संस्था द्वारा पारंपरिक कृषि, गोशाला, आयुर्वेदिक औषध निर्माण, अपारंपरिक ऊर्जा का प्रसार करने वाला प्रो. रज्जूभैया ऊर्जा उद्यान प्रकल्प, वृद्धाश्रम सहित अनेक प्रकल्प चलाए जा रहे हैं. संस्था ग्राम विकास योजना द्वारा पालघर जिले में, 75 वनवासी गावों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पिछले तीन वर्षो से कार्यरत है.
ग्रामीण वनवासी बहनों को कुटीर उद्योग द्वारा सक्षम बनाना भी संस्था के कार्य का एक अंग है. इसी कड़ी में “प्रोजेक्ट ग्रीन गोल्ड” के माध्यम से पालघर जिले के विक्रमगढ़ तालुका में, 300 वनवासी महिलाओं को बैंबू हस्तकला प्रशिक्षण प्रदान किया गया. इस प्रकल्प में कुल 9 गांव शामिल हैं, जिनके स्वतंत्र रूप से चलने वाले 10 उद्योग समूह बने हैं. इस बार रक्षाबंधन पर वनवासी महिलाओं द्वारा तैयार की गई राखियां खरीदकर हम आत्मनिर्भर भारत भारत अभियान का हिस्सा बन सकते हैं.
इस प्रकल्प के अंतर्गत बैंबू के अनेकों उत्पाद बनाए जाते हैं. दीवाली के आकाश दिये, प्लेट्स, ज्वेलरी, शो पीस, ऐसे अनेक आकर्षक उत्पाद बनाए जाते हैं. गत वर्षों में प्रकल्प के तहत दीयों को काफी सराहा गया था और हाथों हाथ बिक भी गए थे.
राखियों की अधिक जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं. किशोर जी – 7021633415