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आत्मनिर्भर भारत – यह सिर्फ एक आर्थिक विचार नहीं, बल्कि हर व्यक्ति में आत्मविश्वास जगाने का कार्यक्रम

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देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं पूर्वोत्तर भारत के लोग – अजित डोभाल

मुंबई (विसंकें). राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत को देश की दृष्टि से महत्वपूर्ण और विशेष प्राकृतिक संपदा, खनिज संपदा और वनसंपदा प्राप्त हुई है. यहां के लोग संवेदनशील, मेहनती, आस्तिक और नित्यसिद्ध हैं. इसीलिए समूचे भारत के विकास में, समस्याएं सुलझाने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते है. पिछले कुछ वर्षों में विवेकानन्द केन्द्र द्वारा क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सेवा कार्यों के माध्यम से यहां के नागरिकों में सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं.

विवेकानन्द शिला स्मारक और विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत और नॉर्थ-ईस्ट’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया था. वेबिनार में वरिष्ठ अर्थतज्ञ एस. गुरुमूर्ति और विवेकानंद केंद्र की उपाध्यक्षा निवेदिता भिड़े ने भी अपने विचार रखे.

उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में दक्षिण एशियाई देशों का महत्त्व बढ़ रहा है. इस क्षेत्र में नए अवसर प्राप्त हो रहे है. भारत और इन देशों के भूगोल, इतिहास, धरोहर और संस्कृति में समानता है. हमारी सागरी सीमाएँ भी एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. हमारी आर्थिक समस्याएं भी लगभग एक समान हैं. भारत के लिए दक्षिण एशियाई देशों की सीमाएं पूर्वोतर भारत के विकास से खुल जाएंगी. इससे इन देशों के साथ संबंध मजबूत हो सकते हैं.

अजित डोभाल ने कहा कि ड्रग्ज का व्यापार, विद्रोह, ह्युमन ट्रैफिकिंग, स्मगलिंग जैसी अनेक समस्याएं ईशान्य भारत की प्रगति में बाधक हैं. क्षेत्र का ८४ प्रतिशत वन और पर्वतों से व्याप्त हिस्सा अत्यंत दुर्गम है. परंतु पिछले छह वर्षों में क्षेत्र ने काफी उन्नति की है, और विद्रोह की घटनाओं में २० प्रतिशत की कमी आ गई है. आने वाले समय में इस क्षेत्र में निश्चित ही शांतिपूर्ण वातावरण होगा.

गुरुमूर्ति ने कहा कि आज पूरी वैश्विक व्यवस्था का पुनर्निर्माण हो रहा है. शीत युद्ध की समाप्ति के बाद तैयार हुए वैश्विक व्यवस्था में मुक्त अर्थव्यवस्था और अधिनायकवाद प्रेरित कम्युनिस्ट अर्थव्यवस्था के रूप में विभाजन हुआ था. १९७० के दशक में कम्युनिस्ट चीन ने मुक्त अर्थव्यवस्था को स्वीकार किया. लेकिन लोकतंत्र पर विश्वास रखने वाला भारत कम्युनिस्ट आर्थिक विचारों का अनुसरण कर रहा था. लगभग १९९८ तक भारत की अर्थव्यवस्था इसी प्रभाव में रहीं. परिणामतः समूचे विश्व ने भी भारत को अनदेखा किया. आज फिर एक बार स्वप्रेरित अर्थविचार लेकर वैश्विक व्यवस्था में भारत अपना प्रभाव बना रहा है. भविष्य में बलशाली लोकतंत्र और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के साथ हमारा देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के केंद्र के रूप में स्थापित होगा. इस प्रक्रिया में पूर्वोत्तर भारत का अहम योगदान होगा.

निवेदिता भिड़े ने कहा, पूर्वोत्तर भारत घूमते समय हमें भारत की अंतरात्मा का अनुभव होता है. यहां की स्थानीय सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराएं विशुद्ध भारतीय संस्कृति का परिचय कराती है. पिछले कई वर्षों में क्षेत्र का अध्ययन करने के नाम पर कुछ लोगों ने क्षेत्र में अलगाववाद के बीज बोए हैं. पूर्वोत्तर को उर्वरित भारत से जोड़ने वाली अपनी जीवन पद्धति, संस्कृति और परम्पराओं में साम्य को उजागर करने का कार्य विवेकानंद केंद्र ने यशस्विता से किया है. गत ४५ साल में क्षेत्र में ४५ से भी ज्यादा पाठशाला, २ बड़े अस्पताल, छात्रावास, लगभग २०० आनन्दालयों का निर्माण विवेकानन्द केन्द्र द्वारा किया गया है. आत्मनिर्भर भारत यह सिर्फ एक आर्थिक विचार नहीं, बल्कि देश के हर एक व्यक्ति में आत्मविश्वास जगाने का कार्यक्रम है.

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