मेरठ. स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस पर विश्व संवाद केंद्र पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. वक्ता विक्रांत वीर ने स्वामी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी ने समाज में जागृति लाने के लिये समरसता, साक्षरता, आदि विषयों का प्रसार करने के लिये ‘आर्य दर्पण’ पत्रिका को प्रारम्भ किया. उसके बाद सदधर्म प्रचार पत्रिका को उर्दू भाषा में निकाला, जिसे बाद में देवनागरी में प्रकाशित किया जाने लगा. उन्होंने अंग्रेजी में ‘श्रद्धा’ मासिक पत्रिका भी प्रारम्भ की.
मुख्य वक्ता अरूण जिन्दल ने मतांतरण का षड्यंत्र विषय पर कहा कि इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा हिन्दुओं पर अत्याचार, क्रूरता के कारण भय से धर्मान्तरण हुआ. अंग्रेजों ने भी अपने शासन काल में भय और लालच से हिन्दुओं को ईसाई बनाया. स्वामी जी ने मतांरित हिन्दुओं की फिर से घर वापसी का संकल्प लिया. शुद्धि आंदोलन द्वारा लाखों लोगों को हिन्दू धर्म में घर वापसी कराई. शुद्धि आंदोलन की सफलता को देखकर ही प्रतिक्रिया स्वरूप एक कट्टर आतंकी अब्दुल रशीद ने उनकी हत्या कर दी. उन्होंने कहा कि मतांतरण केवल मनांतरण नहीं है, केवल पूजा पद्धति ही नहीं बदलती. वरन एक राष्ट्र विरोधी भी तैयार हो जाता है. हमें स्वामी जी के बलिदान से प्रेरणा लेते हुए मतांतरण का प्रतिकार भी करना चाहिये.