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अयोध्या में शिला पूजन शुरू होते ही धर्मनगरी के देवालयों में शंखनाद, विजय महामंत्र, हनुमान चालीसा का पाठ

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कुरुक्षेत्र. श्रीराम जन्मभूमि को लेकर 500 साल के संघर्ष के पश्चात हिन्दू समाज को जीत मिली. वहीं श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण कार्य का शुभारंभ होने पर चहुंओर प्रसन्नता है. मठ-मंदिरों में भजन- कीर्तन का दौर चल रहा है. दीपोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. प्रसन्नता में आतिशबाजी की जा रही है. अयोध्या में पूजन शुरू होते ही धर्मनगरी में शंखनाद व मंत्रोच्चार गूंज उठे. जय श्रीराम के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा. हर गली मोहल्ले व चौक-चौराहे पर जय महामंत्र श्रीराम जय राम जय-जय राम का जाप सुनाई दे रहा था. इस अवसर पर ब्रह्म सरोवर पर भी आरती हुई.

चार जगह रामचरितमानस पाठ

शहर में चार स्थानों पर रामचरितमानस अखंड पाठ की पूर्णाहुति हुई. बुधवार सुबह शहर के मंदिरों में हनुमान चालीस का पाठ शुरू हुआ. विश्व हिन्दू परिषद की ओर से कार्यक्रमों का संचालन किया गया. अखंड पाठ वात्सल्य वाटिका ब्रह्मा कॉलोनी, सेक्टर दो शिव मंदिर, पिपली अनाज मंडी में शिव दुर्गा मंदिर व गीता ज्ञान संस्थानम में था. बुधवार को जिले के 10 प्रखंडों, 400 मंदिरों व 220 गांवों में विजय महामंत्र के जाप के साथ हनुमान चालीसा तथा यज्ञ का आयोजन किया गया.

शाम को अग्रसेन चौक पर आतिशबाजी की. राम मंदिर आंदोलन में संघर्ष करने वाले कारसेवकों को सम्मानित किया गया. विहिप जिला मंत्री पंडित प्रेम नारायण अवस्थी ने कहा कि राम मंदिर निर्माण का हर देशवासी ने सपना देखा था, वह आज साकार हुआ है. स्वामी शाश्वतानंद महाराज सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

श्रीराम मंदिर के निर्माण की खुशी में शहर के हर वार्ड और गांवों में लोगों ने हवन यज्ञ किए. आतिशबाजी की और मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाई. वार्ड 31 दर्राखेड़ा में दीप जलाए. शहर में परशुराम चौक, भद्रकाली मंदिर, मोहन नगर चौक, मेन मार्केट, सिकरी चौक के साथ-साथ सभी चौकों पर विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा दीप जलाए गए.

15 दिन जेल में किया आंदोलन

30 अक्तूबर, 1990 को कुरुक्षेत्र से कारसेवकों का एक जत्था लखनऊ रेलवे स्टेशन पर पहुंचा था. लखनऊ रेलवे स्टेशन पर पूरा स्टेशन जय श्री राम के नारों से गूंज रहा था. उसमें से सत्य प्रकाश रोशा, कृष्ण बजाज, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष आत्मप्रकाश मनचंदा, फतेह चंद गांधी, वालैती राम नरूला, गोपाल दास, किशन लाल, ओम प्रकाश गुप्ता, सुरेश जोशी और कई लोग शामिल थे. किशन बजाज अपने कुछ साथियों के साथ पुलिस को चकमा देकर अयोध्या पहुंचे थे.

बजाज व गांधी के मुताबिक बाहर निकलते ही उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. एक स्कूल की अस्थाई जेल में रखा. दो नवंबर को हमें पता चला कि कारसेवकों पर गोलियां और लाठियां चलाई गई. इसमें कई कारसेवक शहीद हो गए तो जेल में ही एक दिन का अनशन किया. 15 दिन आंदोलन चलता रहा. जेल में हम सभी कारसेवक अपना भोजन स्वयं बनाते थे. जेल में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तर प्रदेश के लगभग 2000 कारसेवक थे. वहां पर सुबह और शाम शाखा भी लगती थी. उत्तर प्रदेश की जनता ने कारसेवकों की पूरी सेवा की. 15 दिन के बाद उन्हें रिहा किया गया.

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