अयोध्या/लखनऊ.
सरयू नदी के घाट पर बने श्री राम कथा संग्रहालय के संचालन और प्रबंधन को अब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट संभालेगा. उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर के पश्चात राम कथा संग्रहालय का प्रबंधन श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र के पास रहेगा. सरयू तट पर लगभग 2.8 एकड़ में अंतरराष्ट्रीय राम कथा संग्रहालय बनाया गया है.
सोमवार को संस्कृति विभाग और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के बीच एमओयू हस्तांतरण हुआ. गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम में पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के मंत्री जयवीर सिंह और श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र विशेष रूप से उपस्थित रहे. श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय, मंदिर निर्माण समिति के सदस्य अनूप कुमार मित्तल, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम, संस्कृति विभाग के निदेशक शिशिर और विशेष सचिव राकेश चंद्र शर्मा उपस्थित रहे.
संग्रहालय में श्री राम से जुड़ी 1000 से ज्यादा प्राचीन और दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह है. इस अंतरराष्ट्रीय राम कथा संग्रहालय में भगवान राम से जुड़े स्मृति पुराअवशेष तथा 1992 में राम मंदिर निर्माण के समय खुदाई में मिले शिलालेख संग्रहित है. इसके साथ ही देश-विदेश की रामलीलाओं के आभूषण का संकलन भी यहां संग्रहित है.
अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय राम कथा संग्रहालय आर्ट गैलरी अयोध्या आने वाले पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण स्थल है. जहां अयोध्या के विषय में करीब से जान सकते हैं. यहां रामलला के मंदिर के समतलीकरण के दौरान और पुरातत्व विभाग के सर्वे के दौरान मिले साक्ष्य भी सुरक्षित रखे गए हैं. भगवान राम की नगरी में आने वाले राम भक्त 500 वर्षों के संघर्ष से भी परिचित होंगे.
संग्रहालय में खुदाई से प्राप्त अवशेष भी संग्रहालय में राम मंदिर स्थल की खुदाई से प्राप्त कई महत्वपूर्ण अवशेष भी हैं. इसमें गुमनामी बाबा से जुड़ी कई वस्तुएं भी रखी गयी हैं. लगभग करीब 1000 किताबों का संकलन भी यहां है. रामकथा संग्रहालय में आर्ट गैलरी भी है. यहां दुनिया भर में श्रीराम से जुड़े कई महत्वपूर्ण वस्तुओं को भी प्रदर्शित किया गया है. पहले अयोध्या के तुलसी स्मारक भवन में इस संग्रहालय की स्थापना की गयी थी. बाद में सरयू तट पर अलग से भवन बना कर इसे स्थानांतरित किया गया जो करीब 13 करोड़ रुपये से तैयार किया गया था.