नई दिल्ली. स्वाधीनता के अमृत काल के अवसर पर सीसीआरटी परिसर द्वारका में 23 मार्च से 27 मार्च तक “स्वाधीनता के अमृत काल की शुभ वेला : कलाकारों – शिल्पकारों का मेला” हस्तकला एवं शिल्पकला की प्रदर्शनी लगी हुई है. साथ ही देश के संगीत एवं नृत्य कला में पारंगत कलाकार प्रत्येक सायं 6 बजे से 9 बजे तक अपनी अपनी कलाओं की प्रस्तुति दे रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी) एक अग्रणी संस्थान है, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त संस्था के रूप में कार्यरत है.
आज के सांस्कृतिक आयोजन का उद्घाटन डॉ. हेमलता एस. मोहन अध्यक्ष सीसीआरटी द्वारा ऋषि वशिष्ठ निदेशक सीसीआरटी एवं अनेक गणमान्यों व्यक्तियों की उपस्थिति में किया गया. साथ ही परिसर में नारी शक्ति को सारगर्भित करने के उद्देश्य से “शक्ति-द पावर”, 25 महिला कलाकारों द्वारा तैयार की गयी 40 दृश्य कला प्रदर्शनी का अद्वैत गडनायक, महानिदेशक, राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) एवं डॉ. हेमलता एस मोहन अध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया.
डॉ. हेमलता एस मोहन के अनुसार “विगत 2 वर्षों की महामारी के कारण मंच से दूर रहे कलाकारों के लिए ये अमूल्य क्षण है. उत्सवों से पारंपरिक कला एवं कलाकारों का संवर्धन एवं संयोजन होता है. कलाकारों, शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं शिल्पकारों से सम्बद्ध सीसीआरटी अपने परिसर संस्कृति हाट में इस उत्सव के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने हेतु पारम्परिक कलाओं को नए आयाम दे रही है.”
“मेरी अभिलाषा है कि उत्सव के माध्यम से छात्रवृत्ति प्राप्तकर्ता, समस्त छात्र छात्राओं, शिक्षकों एवं गुरुजनों को अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सीसीआरटी सभी के सपनों पूरे करे. भारतीय सांस्कृतिक शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है. सांस्कृतिक मूल्य एवं शिक्षा के माध्यम से निःसंदेह भारत एक बार पुनः विश्व गुरु बनेगा”.
स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा संगीत नृत्य कला के साथ साथ उत्सव में भारत के गुमनाम शहरों पर आधारित सीसीआरटी पुस्तक श्रृंखला में प्रोफेसर विमलेश वर्मा द्वारा लिखित पुस्तक चित्रकूट का विमोचन किया गया.