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श्यामजी खरे का कर्मशील व्यक्तित्व हम सब की स्मृति में सदैव बना रहेगा – भय्याजी जोशी

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इंदौर (विसंकें). धर्मनिष्ठ, तपोनिष्ठ, सेवाभावी, संगठनकर्ता, पूर्ण और सार्थक जीवन जीने वाले कर्मयोगी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक रामकृष्ण सदाशिव खरे (श्यामजी खरे) का 05 सितंबर, 2020 को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.

09 सितंबर, 2020 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रांत द्वारा online श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. श्रद्धांजलि सभा में सरकार्यवाह भय्याजी जोशी, कृपाप्रसाद सिंह, महेश शर्मा ऑनलाइन रूप से सम्मिलित हुए.

सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने कहा कि एक स्ट्रक्चरल इंजीनियर होने के बाद भी वनवासी जनजाति क्षेत्र की समस्याओं को लेकर इतनी गहराई से अध्ययन कर सकते हैं, यही मेरे लिए आश्चर्य की बात है. वनवासी जनजाति क्षेत्र की समस्याओं का आकलन मानचित्र के माध्यम से प्रस्तुत किया और इसको देख कर किस प्रकार की रणनीति अपने कार्य में होना चाहिए, इसका अनुपम उदाहरण उन्होंने दिया.

उनके अध्ययन का प्रकार भी भिन्न-भिन्न रहा. श्रीमद्भगवद्गीता का संस्कृत से मराठी में अनुवाद किया. गीता के भाव, गीता में उपदेश, इसमें जरा सा भी कुछ परिवर्तन न करते हुए श्रीमद्भगवद्गीता को संस्कृत से मराठी में प्रस्तुत किया था. संघ के स्वयंसेवक के नाते प्राप्त संस्कार, एक संगठन की कुशलता और मिलने आने वाले किसी भी स्तर के कार्यकर्ता के प्रति समान रूप से आत्मीयता का भाव रहा है. जो भी प्रामाणिकता से प्रयास होते थे, उनमें वह अपनी भूमिका निभाने में अग्रसर हुआ करते थे. हम सबके सामने इसका उदाहरण झाबुआ के शिवगंगा प्रकल्प का है, जब उन्हें लगा कि एक प्रयास जनजाति क्षेत्र में जनजाति समाज के लिए, उनके सर्वांगीण विकास के लिए, पर्यावरण की रक्षा के लिए, प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण उपयोग, सही उपयोग हो, इस प्रयास के लिए आपने अपनी शक्ति प्रकल्प में लगाई. ऐसे अत्यंत कर्मठ, अध्ययन, और कर्मशील व्यक्तित्व हम सब की स्मृति में सदैव बना रहेगा. अखिल भारतीय श्रद्धा जागरण प्रमुख रमेश जी बाबू,, प्रांत प्रचारक बलिराम जी पटेल, सह प्रांत कार्यवाह विनीत जी नवाथे व अन्य उपस्थित रहे.

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