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श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र को यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल

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नई दिल्ली। यूनेस्को ने श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। यूनेस्को द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, यूनेस्को (UNESCO) के विश्व स्मृति रजिस्टर में कुल 74 नई एंट्री की गईं, जिससे कुल अभिलेखित संग्रहों की संख्या 570 हो गई।

इसे लेकर प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा – दुनिया भर में हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है! यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल करना हमारे ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया – भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल करने के साथ ही अब यूनेस्को के रजिस्टर में कुल 14 अभिलेख हो गए हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित किया गया है। यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा का जश्न मनाता है। ये कालातीत रचनाएं साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं – वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं, जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है।

मेमोरी ऑफ द वर्ल्डरजिस्टर

यूनेस्को का ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ रजिस्टर क्या है? यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो दुनिया की दस्तावेजी विरासत को बचाने और उसके संरक्षण के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विरासत हमेशा के लिए उपलब्ध रहे। इसे 1992 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य ऐतिहासिक लिखित धरोहरों को विस्मृति से बचाना और दुनिया भर में मूल्यवान अभिलेखीय होल्डिंग्स और पुस्तकालय संग्रहों को संरक्षित करना है।

यूनेस्को की वेबसाइट पर बताया गया है, ‘दुनिया की दस्तावेजी विरासत सभी की है, इसे पूरी तरह से संरक्षित और सभी के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए। सांस्कृतिक मूल्यों और व्यवहारिकताओं को ध्यान में रखते हुए, यह बिना किसी बाधा के सभी के लिए हमेशा उपलब्ध होनी चाहिए’।

इस कार्यक्रम की योजना और इसकी देखरेख एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार समिति (IAC) करती है। IAC में 14 सदस्य होते हैं। इनकी नियुक्ति UNESCO के महानिदेशक करते हैं।

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