चैन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को प्राचीन मंदिरों के नाम पर तीसरे पक्ष द्वारा बनाई गई सभी फर्जी वेबसाइटों को बंद करने का निर्देश दिया. मदुरै बेंच के जस्टिस आर महादेवन और जे सत्य नारायण प्रसाद की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के HR&CE विभाग को ऐसी सभी अवैध वेबसाइटों पर कार्रवाई करनी चाहिए और भक्तों को ऑनलाइन अनुष्ठान करने का विकल्प देने की प्रक्रिया को कारगर बनाना चाहिए.
खंडपीठ ने राज्य सरकार और HR&CE “निर्दोष भक्तों” को घोटालेबाजों का शिकार बनने से रोकने का आह्वान किया. राज्य को साइबर क्राइम विंग की सहायता लेनी चाहिए और फर्जी या अवैध वेबसाइटों के माध्यम से एकत्र की गई राशि की वसूली करनी चाहिए.
आदेश कहा गया है, “दुर्भाग्य से, जहां ईश्वर है, वहां बुराई भी है. कुछ लोग भक्तों की धार्मिक आस्था का फायदा उठाते हैं, देवताओं/मंदिरों के नाम पर अवैध वेबसाइट बनाकर धोखाधड़ी से कमाई करते हैं. ऐसी वेबसाइटों के माध्यम से, वे भक्तों से विशेष दर्शन, अनुष्ठानों और अन्य सेवाओं के लिए बड़ी राशि एकत्र करते हैं, लेकिन मंदिरों के प्रशासन को नगण्य राशि का भुगतान करते हैं, जिससे अवैध लाभ प्राप्त होता है. अफसोस की बात है कि इस प्रकार का घोटाला आज के समय में एक सामान्य घटना है. जो अधिकारी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं, ताकि निर्दोष भक्तों को ऐसी गंदी चालों का शिकार होने से रोका जा सके, वे उसके अनुसार कार्रवाई करने में विफल रहे हैं. वर्तमान रिट याचिकाओं में यही मुद्दा शामिल है.”
न्यायालय ने राज्य सरकार को तीन महीने के अंदर ऐसी सभी वेबसाइटों को “बंद” करने और एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.