उदयपुर/राजसमंद. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के अकबर की सेना के साथ हल्दीघाटी में हुए युद्ध की दिनांक और हार-जीत के तथ्यों से संबंधित आपत्ति के बाद सरकार ने हल्दीघाटी में लगे शिलापट्ट को हटा दिया है. इस शिलापट्ट पर युद्ध की दिनांक 21 जून, 1576 अंकित की गई थी तथा प्रताप की सेना के पीछे हटने का तथ्य अंकित था. जबकि, विभिन्न इतिहासकारों ने अपने तथ्यों में युद्ध का दिन 18 जून तथा युद्ध में अकबर की सेना के पीछे हटने के तथ्यों को साबित किया है. फिलहाल शिलापट्ट को हटा दिया गया है. शीघ्र ही यहां नया शिलापट्ट लगाया जाएगा.
बहरहाल, स्थानीय समिति की ओर से संशोधित तथ्यों के साथ यहां बोर्ड लगाया गया है, जिसमें युद्ध की दिनांक 18 जून तथा अकबर की सेना के पीछे हटने की बात अंकित की गई है.
प्रसिद्ध हल्दीघाटी संग्रहालय के संस्थापक तथा महाराणा प्रताप की शौर्यगाथा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए समर्पित मोहन श्रीमाली ने बताया कि इतिहासकार डॉ. चंद्रशेखर शर्मा ने अपने शोध में विभिन्न तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए हल्दीघाटी युद्ध की तिथि 18 जून एवं युद्ध में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की विजय को स्थापित किया है. श्रीमाली ने बताया कि जब यह तथ्य साबित है कि मुगलों की सेना हल्दीघाटी से खमनोर की तरफ पीछे हटी थी, रक्ततलाई खमनोर की तरफ ही है. मुगलों की सेना पीछे हटी, इस तथ्य को पूर्व के इतिहासकारों ने स्पष्ट नहीं किया. अब यह तथ्यों सहित पुनः स्थापित हो चुका है. हालांकि, रक्ततलाई के शिलापट्ट पर अंकित प्रताप की सेना के पीछे हटने की अभिलेख में काफी पहले अज्ञात लोगों ने प्रताप शब्द को कुरेद कर मुगल लिख दिया गया था. इसे अधिकृत रूप से लिखवाए जाने की मांग लम्बे समय से जारी थी.
इसी वर्ष जून में महाराणा प्रताप जयंती के आयोजनों के दौरान भी रक्ततलाई पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के शिलापट्ट पर अंकित तथ्यों को लेकर विरोध उठा. इतिहासकारों, क्षेत्रवासियों, देशभर के लोगों सहित राजसमंद के विधायक, सांसद, कई सामाजिक संगठनों द्वारा गलत तथ्यों को हटाकर सही तथ्यों वाले शिलापट्ट को लगाने की मांग की गई.
अब केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के आदेश पर हल्दीघाटी की रक्ततलाई से गलत तथ्यों वाला शिलापट्ट हटा दिया गया है. समूचे मेवाड़ ने इसे महाराणा प्रताप के गौरव को स्थापित करने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया है.