नई दिल्ली. कृषि सुधार कानूनों को लेकर कुछ किसान संगठन दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शनम कर रहे हैं. सरकार की ओर से बार-बार सकारात्मक पहल की जा रही है, किसान संगठनों के साथ बातचीत भी हुई है, लेकिन कोई नतीजा अभी तक सामने नहीं आया है. किसान संगठन कानूनों को वापिस लेने की मांग कर रहे हैं तथा सरकार आवश्यक संशोधन पर लिखित में देने का आश्वासन दे रही है.
सवाल उठता है कि क्या वाकई में किसान नए कानून से खुश नहीं है? नए कृषि कानूनों को लेकर न्यूज़18 नेटवर्क ने एक सर्वे किया, सके तहत नए कानूनों को लेकर लोगों की राय जानने का प्रयास किया गया. सर्वे के अनुसार लगभग 70 प्रतिशत लोग नए कृषि कानूनों के समर्थन में हैं और इनका मानना है कि इससे किसानों का फायदा होगा. जबकि 54 प्रतिशत लोगों का मानना है कि किसानों का आंदोलन राजनीति से प्रेरित है.
टीवी चैनल के अनुसार उसने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, देश के लगभग हर कोने से लोगों की राय जानने का प्रयास किया है. इसके तहत देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लोगों से सवाल पूछे गए. इसके तहत नए कानूनों को लेकर लोगों की राय जानने का प्रयास किया गया.
न्यूज18 के सर्वेक्षण में शामिल 73.05 फीसदी लोगों ने कृषि सुधार और आधुनिकीकरण पर सरकार का समर्थन किया है.
सर्वे के परिणाम —-
o 56.59% लोगों का मानना है कि इस आंदोलन को खत्म किया जाए.
o 53.6% लोग नए कृषि कानूनों के समर्थन में हैं. 30.6% लोग इस कानून के समर्थन में नहीं हैं. जबकि 15.8% इसको लेकर कुछ कहने की हालत में नहीं हैं.
o 48.71% लोगों का मानना है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का ये आंदोलन राजनीति से प्रेरित है. 32.59 फीसदी लोगों का कहना है कि ये आंदोलन राजनीति से प्रेरित नहीं है. जबकि 18.70 लोग पक्के तौर पर ये कहने की हालत में नहीं हैं कि ये राजनीति से प्रेरित है या नहीं.
o 52.69% लोगों का मानना है कि प्रदर्शनकारी किसानों को कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने पर जोर नहीं देना चाहिए और समझौता करना चाहिए.
o 60.90% का मानना है कि नए कृषि सुधार कानूनों के तहत किसानों को बेहतर कीमत मिल सकती है.
o 73.05% भारतीय कृषि में सुधार और आधुनिकीकरण का समर्थन करते हैं.
o 69.65% लोगों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है कि अब किसानों को APMC मंडी के बाहर अपने अनाज बेचने का विकल्प होगा.