करंट टॉपिक्स

शासकीय तंत्र में मानवीय मंत्र की स्थापना का सिद्धांत – एकात्म मानवदर्शन

महान दार्शनिक प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु अरस्तु ने कहा था - "विषमता का सबसे बुरा रूप है, विषम चीजों को एक समान...

पं. दीनदयाल उपाध्याय के सपनों का ‘अखंड भारत’

जयराम शुक्ल पण्डित दीनदयाल उपाध्याय स्वतंत्र भारत के सबसे तेजस्वी, तपस्वी व यशस्वी चिन्तक हैं. उनके चिन्तन के मूल में लोकमंगल और राष्ट्र का कल्याण...

‘सभ्यताओं के संघर्ष में संवाद का रास्ता दिखाती है भारतीय संचार परंपरा’

लोकमंगल से भटका, नकारात्मकता में क्यों अटका मीडिया? नई दिल्ली. मीडिया में ऐसे कौन से पहलू हैं, जिनसे भारतीय मूल्य नेपथ्य में जाते दिखते हैं...

विवाद मुक्त गांव ही समरस भारत की कुंजी

चित्रकूट. विवाद समाप्त करने का मूल मंत्र है, लोगों में आपसी भाईचारे को कायम करना और उनमें आपसी विश्वास पैदा करना. ग्रामीण बहुत अधिक संवेदनशील...

किसानों का सच्चा साथी – शेतकारी विकास प्रकल्प

खेती कभी भी हंसी - खेल नहीं रही. सदियों से किसान सदा ही फाकाजदा रहा है. छोटे जोत के किसानों के लिए तो खेती से...

भौतिकता के उत्थान में जीवन उत्थान का स्मरण भी रखना चाहिए – सुरेश भय्याजी जोशी

नई दिल्ली (इंविसंकें). दीनदयाल शोध संस्थान के भवन के नवसृजित मुखारविंद का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी के करकमलों द्वारा हुआ....