करंट टॉपिक्स

युवा जनसंख्या तभी लाभदायक, जब वह अनुशासन और कौशल से युक्त होगी – जनरल एमएम नरवणे

पुणे स्थित ‘महर्षि कर्वे स्त्री शिक्षण संस्था’ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् बैठक (25 से 28 मई) के अंतर्गत शुक्रवार को...

रिश्तों का अपना भाव है, उन्हें अंकल-आंटी बोलकर समाप्त न करें – सदानंद सप्रे

भोपाल. मातृभाषा समारोह के समापन सत्र में सदानंद सप्रे ने कहा कि बच्चों को प्रारंभ में अंग्रेजी शिक्षा देने के स्थान पर मातृभाषा में शिक्षा...

भारतीय भाषाओं के प्रति संघ का दृष्टिकोण

लोकेन्द्र सिंह तुर्की जब स्वतंत्र हुआ, तब आधुनिक तुर्की के संस्थापक कमालपाशा ने जिन बातों पर गंभीरता से ध्यान दिया, उनमें से एक भाषा भी थी. कमालपाशा...

भारत केन्द्रित मातृभाषा में शिक्षा

पंकज सिन्हा शिक्षा की प्रकृति एक सृष्टि है. सृष्टिकर्ता है – माता. वह माता, जो मानव सृष्टि के बीज़ को अपने गर्भ में धारण करती...

बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय का शूल…..

डॉ. आयुष गुप्ता भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) एवं आयुर्विज्ञान (मेडिकल साइंस) का अध्ययन अध्यापन अपनी मातृभाषा में कराने का विचार केवल...

हिन्दी केवल भाषा नहीं, हमारी परंपरा-सभ्यता की पहचान रही है

पल्लवी अनवेकर एक बार एक मां अपने बच्चे को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करने के फायदे गिनवा रही थी. अंग्रेजी की महत्ता समझा रही थी....

राष्ट्रीय शिक्षा नीति – अतीत के अनुभव, वर्तमान की चुनौतियों तथा भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया

छह वर्ष तक शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, विचारकों, शैक्षिक, प्रशासकों तथा अन्य शिक्षा क्षेत्र के हितग्राहियों के परामर्श, भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से लगभग एक लाख गांवों...

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हस्ताक्षर अभियान का आयोजन

शिक्षा संस्कृति, उत्थान न्यास दिल्ली प्रांत द्वारा पूर्वी दिल्ली, शाहदरा क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में मातृभाषा में हस्ताक्षर अभियान चलाकर लोगों को मातृभाषा के प्रति जागरूक किया...

हम क्यों खोते जा रहे हैं अपने शब्दों को, ऐसे तो विलुप्त हो जाएंगे हमारे शब्द

अपनी भाषा, बोली और अपने शब्दों का उपयोग न करने या उन्हें प्रचलन में न रखने पर वे मृत हो जाते हैं. ‘भाषा किसी भी...

हम अपनी भाषा से प्रेम करें, और उसे विकृत न होने दें – डॉ. नरेन्द्र कोहली जी

भोपाल (विसंकें). प्रख्यात साहित्यकार डॉ. नरेन्द्र कोहली जी ने कहा कि मातृभाषा हिन्दी के प्रति हीनता का भाव होने के कारण हम प्राचीन ज्ञान विरासत...