वैराग्य – भारतीय दर्शन संस्कृति का अभिन्न अंग admin November 30, 2021November 30, 2021 दिल्ली बैनर स्लाइडर विचार शीर्ष क्षैतिज स्क्रॉल भगवद् गीता अध्याय 6 श्लोक 35 श्री भगवानुवाच असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलं. अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते.. अर्थात श्रीभगवान् कहते हैं – हे,...