करंट टॉपिक्स

भारत का ‘भोगा हुआ सच’

“देश की स्वाधीनता के वास्तविक महानायक छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी जैसे वीर हैं, जिन्होंने भारत की आत्मा को बुझने नहीं दिया। यह फिल्म उसी...

प्रयागराज महाकुम्भ –  संस्कार भारती ने ‘राष्ट्र रत्ना’ शोभायात्रा के माध्यम से वीरांगनाओं का स्मरण किया

महाकुम्भ नगर, प्रयागराज। हम भारतवासी अपने स्वाधीनता के शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर हैं। देश के नव निर्माण में योगदान देने वाली आदर्श मातृ शक्ति...

शक्ति… हमारी साधना नहीं, हमें सामर्थ्य दीजिये

डॉ. पिंकेश लता रघुवंशी शक्ति के प्रति सम्मान का पर्व है शारदीय नवरात्र. वास्तव में यह उस सृजनात्मक शक्ति को नमन करने का अवसर है,...

एकात्म मानव दर्शन – दीनदयाल जी ने चतुर्पुरुषार्थ सिद्धांत को व्यवहारिक स्वरूप दिया

भाग दो "धर्म" चतुर्पुरुषार्थ में सबसे पहला है. इसके अंतर्गत शिक्षा-संस्कार, जीवन संकल्प समन्वय एवं विधि व्यवस्था आती है. दूसरा पुरुषार्थ "अर्थ" है, इसमें साधन...

गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति – पोर्ट ब्लेयर का बदला नाम, अब कहलाएगा ‘श्री विजयपुरम’

नई दिल्ली . केंद्र सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया...

समान नागरिक संहिता – प्रश्न महिलाओं के समान अधिकारों का, धर्म का नहीं

उत्तराखंड, गोआ के पश्चात समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का दूसरा और स्वाधीनता के पश्चात समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य...

भारत की शास्त्रोक्त ज्ञान-परंपरा भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है

हमारे ये प्राचीन शास्त्र व उनका अध्ययन, अध्यापन संप्रदाय सापेक्ष कर्मकांड न होकर समूची मानव जाति की साझी व अनादि संस्कृति के अंग रहे हैं....

औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकल नया नैरेटिव स्थापित करने की आवश्यकता – दत्तात्रेय होसबाले जी

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि सत्य की खोज करना भारत की परंपरा रही है, लेकिन भारत शब्द...

सेवा भावना से करें वंचित वर्ग की मदद – निंबाराम

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकल्प घुमंतू जाति उत्थान न्यास के "अपनी बस्ती अपना हवन" योजना का शुभारंभ गोविंदपुरा- निवारू लिंक रोड, सपेरा बस्ती में...

सिनेमा में स्वत्व और संस्कार बोध की आवश्यकता – 1

रमेश शर्मा हम स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. किसी भी राष्ट्र की स्वाधीनता का अमृत्व उसकी अपनी जड़ों के सशक्तिकरण से ही सम्भव...