करंट टॉपिक्स

वे पन्द्रह दिन – समापन, 15 अगस्त के बाद…..

भारत तो स्वतंत्र हो गया. विभाजित होकर..! परन्तु अब आगे क्या..? दुर्भाग्य से गांधी जी ने मुस्लिम लीग के बारे में जो मासूम सपने पाल...

राम का आत्मविश्वास राम है – श्याम गुप्त

नई दिल्ली. क्या ऐसा कोई भारतवासी होगा जो भारत मां को नहीं मानता हो? क्या कोई ऐसा हिन्दू होगा, जिससे राम की याद न आती...

पुण्य स्मरण : हमें प्रतीक्षा रहेगी श्रद्धेय बाबूराव जी

अतुल तारे मेरे पत्रकारिता जीवन की मुझे एक खास उपलब्धि बतानी हो तो मैं यह तुरंत कहूंगा कि मुझे निष्काम कर्मयोगी, श्रद्धेय श्री माधव गोविंद...

सार्वजनिक गणेशोत्सव – कोरोना कालखंड में भी सेवा कार्य की अखंड परंपरा….!

मुंबई (विसंकें). लोकमान्य तिलक जी ने स्वाधीनतापूर्व काल में धार्मिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय जनजागरण का उद्देश्य सामने रखकर सार्वजनिक गणेशोत्सव का प्रारंभ किया. गणेशोत्सव को...

स्थापना दिवस – भारतीय मजदूर संघ शून्य से शिखर की ओर

धर्मदास शुक्ला भारतीय मजदूर संघ की स्थापना से पूर्व देश में कई श्रम संगठन कार्यरत थे, जो किसी न किसी राजनीतिक विचारधारा एवं पाश्चात संस्कृति से...

शाश्वत मूल्यों के प्रकाश में चलने वाली परम्परा के लिए ग्लास्नोस्त शब्द अप्रासंगिक है

सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के पश्चात अपेक्षित बहस जनमाध्यमों में चल पड़ी है. अनेक लोगों ने इसका स्वागत किया है....

वानप्रस्थी सेना के नायक जितेन्द्रवीर गुप्त

11 मई/जन्म-दिवस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य विस्तार में प्रचारकों का बड़ा योगदान है. साथ ही उस कार्य को टिकाने तथा समाज के विविध क्षेत्रों...