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सबहिं नचावत राम गोसाईं

जयराम शुक्ल एक मित्र साइकिल की दुकान पर मिल गए. बाहर उनकी चमचमाती कार खड़ी थी. मैंने पूछा - यहां कैसे? वो बोले - डाक्टर...