नई दिल्ली. कोरोना संकट और अमेरिका व चीन के बीच चल रहे व्यापारिक विवादों के कारण कई कंपनियां विकल्प तलाश रही हैं और चीन से अपना कारोबार समेटना चाहती है. भारत इन कंपनियों के लिए उपयुक्त विकल्प बनता जा रहा है. कोरोना महामारी के दौरान अनेक कंपनियां भारत में निवेश की घोषणा कर चुकी हैं… या फिर संभावनाएं तलाश रही हैं.
इसी कड़ी में ताइवान की पेगाट्रन कॉरपोरेशन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स तमिलानाडु में मोबाइल फोन और उसके पार्ट्स बनाने की यूनिट स्थापित करने के लिए निवेश करेंगी. दोनों कंपनियों का निवेश अलग-अलग होगा, यानि पेगाट्रन कॉरपोरेशन अपनी अगली एंटिटी के जरिए राज्य में निवेश करेगी और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स अपनी अगली एंटिटी के जरिए. तमिलनाडु सरकार ने कंपनियों की योजना के बारे में जानकारी दी.
जानकारी के अनुसार टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स मोबाइल फोन कंपोनेंट्स बनाने के लिए राज्य में 5753 करोड़ रुपये (79 करोड़ डॉलर) का निवेश करेगी. ताइवान की कंपनी पेगाट्रन कॉरपोरेशन मोबाइल फोन के निर्माण के लिए 1100 करोड़ रुपये निवेश करेगी. पेगाट्रन का फेज़वाइज़ निवेश करेगी और यह पहले चरण का निवेश होगा.
वैश्विक कंपनियों के लिए आकर्षक बन रहा भारत
भारत फोन असेंबल करने वाली वैश्विक कंपनियों के लिए आकर्षक स्थल बनता जा रहा है जो चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं. इसके अलावा कोरोना महामारी और विश्व स्तर पर विवादों के बीच अधिकतर फोन असेंबल करने वाली कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही हैं. पिछले साल अक्तूबर 2020 में भारत सरकार ने 16 कंपनियों को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव (पीएलआई) प्रोग्राम के तहत स्वीकृति दी थी.
तमिलनाडु राज्य में पेगाट्रन कॉरपोरेशन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा अन्य कंपनियां भी निवेश करने वाली हैं. सन एडीसन राज्य में 4629 करोड़ रुपये का निवेश करेगी और सोलर पीवी मॉड्यूल्स तैयार करेगी. एक और कंपनी ओला इलेक्ट्रिक राज्य में 2354 करोड़ के निवेश से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और बैट्री तैयार करेगी.