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मंदिर की प्रतिमा नाबालिग बच्चे के समान और न्यायालय उसका संरक्षक

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चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा कि मंदिर की संपत्ति पर कब्‍जा कानून की दृष्टि से ‘अशिष्ट’ है. मंदिर की प्रतिमा एक नाबालिग बच्‍चे के समान होती है और न्‍यायालय नाबालिग बच्‍चे और संपत्ति का संरक्षक होता है. पलानी मंदिर की जमीन पर अवैध कब्‍जे को लेकर सुनवाई के दौरान मद्रास उच्‍च न्‍यायालय ने महत्‍वपूर्ण फैसला दिया.

मद्रास उच्‍च न्‍यायालय ने आदेश में कहा कि मंदिर की प्रतिमा नाबालिग बच्‍चे के समान है और इसकी संपत्ति की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी न्‍यायालय की है. इसी के साथ न्‍यायालय ने पलानी के प्रसिद्ध श्री धनदायुधापानी मंदिर की जमीन पर अवैध कब्‍जा हटाने का निर्देश दिया. यह तमिलनाडु के अमीर मंदिरों में से एक है.

न्‍यायमूर्ति आर.एम.टी टीका रमन ने अपने फैसले में कहा, ‘न्‍यायालय एक व्‍यक्ति के नाबालिग बच्‍चे और संपत्ति, दोनों का अभिभावक होता है. उसी तरह, न्‍यायालय मंदिर की प्रतिमा की संपत्तियों का संरक्षक भी है. न्‍यायालय को एक नाबालिग बच्‍चे की तरह ही प्रतिमा की संपत्तियों सुरक्षा करनी होती है. हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पलानी में भगवान सुब्रमण्‍यम स्‍वामी यानि कार्तिक नाबालिग बच्‍चे के रूप में निवास करते हैं. इसलिए न्‍यायालय को प्रतिमा की संपत्ति की रक्षा एक नाबालिग बच्‍चे की तरह करनी होती है.’

चार हफ्ते में कब्‍जा हटाना होगा

इसी के साथ उन लोगों की याचिकाएं खारिज कर दीं, जो पीढ़ियों से मंदिर की जमीन पर कब्‍जा जमाए बैठे हुए थे. न्‍यायालय ने कहा कि ब्रिटिश सरकार से ‘अनुदान’ में मिली मंदिर की जमीन पर प्रतिवादी पीढ़ियों से जमे हुए थे. मंदिर को 60 वर्षों तक उसकी संपत्ति का उपयोग नहीं करने दिया.

न्‍यायमूर्ति रमन ने कहा, ‘‘प्रतिमा का संरक्षक होने के नाते इस न्‍यायालय को लगता है कि प्रतिवादी पीढ़ियों से संदिग्‍ध तरीके अपनाकर संपत्ति का आनंद ले रहे थे, इसलिए उन्‍हें बेदखल किया जाना चाहिए.’’ इसके अलावा, न्‍यायालय ने हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्‍ती विभाग के आयुक्‍त और सचिव को आदेश दिया कि वे मंदिर के कार्यकारी अधिकारी को चार सप्‍ताह के भीतर पूर्व के आदेश के अनुसार संपत्ति का कब्‍जा लेने के लिए उपयुक्‍त निर्देश दें. कार्यकारी अधिकारी के विफल रहने पर आयुक्‍त को अपनी निगरानी में जल्‍द से इसका निपटारा करना होगा.

क्‍या था मामला

तिरुपुर जिले के धारापुरम स्थित पेरियाकुमारपालयम गांव में श्री धनदायुधापानी मंदिर की 60.43 एकड़ जमीन है. 1863 में ब्रिटिश सरकार ने यह जमीन कुछ लोगों को ‘इनाम’ के तौर पर दे दी थी. बाद में तमिलनाडु में ‘इनाम अबॉलिशन एक्ट’ भी लाया गया, पर इसके तहत तहसीलदार स्तर पर समझौते के बाद कब्‍जाधारी मंदिर की संपत्ति पर बने रहे. इसके लिए वे संदिग्ध माध्यमों का सहारा लेते रहे. बचाव पक्ष का कहना था कि कई पीढ़ियों से जमीन पर उनका मालिकाना हक रहा है. लेकिन वे अपना दावा साबित नहीं कर सके. इसलिए न्‍यायालय ने इसे मुरुगन स्‍वामी की संपत्ति मानते हुए बचाव पक्ष को संपत्ति में किसी भी पट्टे पर मालिकाना दावा करने से रोक दिया. अब उन्‍हें यह जमीन खाली करनी पड़ेगी.

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