नई दिल्ली. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जांच में खुलासा हुआ है कि असम और मणिपुर में सांसद बदरुद्दीन अजमल द्वारा संचालित बालगृहों में धन का दुरुपयोग हो रहा है. इसके अलावा ‘मरकजुल मारिफ’ नाम संस्था के तत्वाधान में चल रहे एक बाल गृह को एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय एनजीओ से पैसे मिले हैं, जिसकी जांच आतंकवादी संगठन अल-कायदा से संबंधों को लेकर हो रही है. आयोग ने बालगृहों से 300 बच्चों के गायब होने के संबंध में जांच की बात कही है. आयोग की टीम ने 25 दिसंबर को दौरा किया था. इस समय 6 बाल संरक्षण गृहों में 778 बच्चे रह रहे हैं.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शुक्रवार को बताया कि उसके निरीक्षण दल की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार बाल गृहों में 778 बच्चे रह रहे हैं. लोकसभा सदस्य मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने इन बालगृहों की स्थापना की थी. लोकसभा की वेबसाइट पर प्रदत्त उनके परिचय में कहा गया है कि इन बाल गृहों में 1,010 बच्चे हैं.
आयोग ने कहा कि ‘मरकजुल मारिफ की वेबसाइट पर इन बालगृहों में 1080 बच्चे होने की जानकारी दी गई है. ऐसे में वेबसाइट पर उपलब्ध संख्या और निरीक्षण दल को बालगृहों द्वारा बताई गई संख्या में अंतर है. इस अंतर की जांच करना और 300 बच्चों के बारे में स्थिति का पता करना जरूरी है.’
आयोग के अनुसार, निरीक्षण दल ने यह भी सूचित किया है कि इन बालगृहों में से एक को अंतरराष्ट्रीय एनजीओ आईएचएच से पैसे मिले हैं.
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की से संबंध रखने वाले एनजीओ के पदाधिकारियों से वहां के प्रशासन ने अलकायदा से इसके कथित संबंधों को लेकर पूछताछ चल रही है. वह इसे लेकर भी चिंतित है कि बच्चों के बारे में विवरण अंतरराष्ट्रीय एनजीओ को मुहैया कराया गया होगा. आयोग की रिपोर्ट असम और मणिपुर की सरकारों को सौंपी गई है.
आयोग ने कहा कि इन बाल संरक्षण गृहों में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 सहित कई नियमों का उल्लंघन किया गया है. रिपोर्ट में यहां के गंदे शौचालयों, लड़कियों की असुरक्षा और बांस के डंडे से पिटाई करने सहित कई ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में रिपोर्ट में जिक्र है. कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं. नियमानुसार बाल संरक्षण गृहों में बच्चों की सुरक्षा का लेकर सीसीटीवी कैमरों का लगाया जाना बेहद जरूरी है. वहां के कर्मचारियों ने भी स्वीकार किया है कि बच्चों को शारीरिक रूप से दंड दिया जाता है.
टीम ने जिन बालगृहों की जांच की, इनमें से 5 बालगृह असम के धुबरी, गोलबरा और नगांव, जबकि एक मणिपुर के थौबल में स्थित है. इन सभी का नाम ‘मरकज दारुल यातमा’ रखा गया है.