पुणे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि राजकाज चलाने के साथ-साथ कौन से जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए शासक ने प्रयास किए, इस आधार पर उस शासक का मूल्यांकन होता है. माधवराव पेशवा का चरित्र इस कसौटी पर खरा उतरता है.
सरकार्यवाह जी रविवार को देसाई परिवार तथा मेहता पब्लिशिंग हाऊस की ओर से आयोजित स्व. रणजीत देसाई लिखित ‘स्वामी’ उपन्यास के 60 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर श्री शिवाजी रायगड स्मारक मंडळ, पुणे के अध्यक्ष रघुजीराजे आंग्रे, स्व. देसाई की पुत्री मधुमती शिंदे व पारू नाईक, मेहता प्रकाशन के अखिल मेहता व प्रसिद्ध अभिनेत्री मृणाल कुलकर्णी उपस्थित थे.
दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा, “किसी शासक की उपलब्धि का मूल्यांकन दो कसौटियों के आधार पर किया जाता है. एक तो उसने राजकाज कैसे चलाया, राज्य का विस्तार कैसे किया तथा दूसरे, किन जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए शासक ने प्रयास किया. माधवराव पेशवा का चरित्र इन दोनों कसौटियों पर खरा उतरता है. नानासाहेब पेशवा के उत्तराधिकारी के रूप में 16वें वर्ष में माधवराव ने राज-पाट हाथ में लिया, तब स्थिति विकट थी. लेकिन उन्होंने शत्रु पर विजय प्राप्त की और एक तरह से मराठा साम्राज्य को पुनरुज्जीवित किया”.
उन्होंने कहा कि किसी उपन्यास के 60 वर्षों की पूर्ति मनाना एक अलग साहित्यिक कार्यक्रम है. स्व. रणजीत देसाई ने अपने उपन्यासों में जीवन मूल्यों को प्रमुख स्थान दिया. महापुरुषों का व्यक्तित्व प्रस्तुत करते समय रणजीत देसाई ने उसे साहित्य का अधिष्ठान दिया. इसलिए उनके साहित्य से कई पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती रही है.
मृणाल कुलकर्णी ने कहा, “रमा की भूमिका के कारण मुझे कई बार ‘स्वामी‘ पढ़ने का अवसर मिला, यह मेरा भाग्य है. इस विषय ने मुझे काफी मोहित किया है”.
रघुजी राजे आंग्रे ने कहा, “संपूर्ण मराठा साम्राज्य का भार युवा माधवराव पेशवा के कंधों पर था. वह उन्होंने कैसे संभाला, यह इस उपन्यास में बताया गया है. किस तरह की जिम्मेदारियां माधवराव ने संभाली यह उपन्यास पढ़ने पर पता चलता है”.
अखिल मेहता ने प्रस्तावना रखी. मधुमती शिंदे व पारू नाईक ने अपने पिता की स्मृतियां साझा कीं. मधुमती शिंदे लिखित ” स्वामीकार” पुस्तक का विमोचन भी अतिथियों ने किया. राजेश दामले ने सूत्र संचालन किया, स्व. देसाई के पौत्र सिद्धार्थ शिंदे ने आभार प्रकट किया.