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संकट ने बताया कि देश को उद्योगपतियों की आवश्यकता है या आन्दोलनजीवियों की?

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कोरोना की इस महामारी ने जब से देश में कदम रखा है, तमाम उद्योगपति आपदा में समाज और सरकार का साथ दे रहे हैं. किसी ने करोड़ों रूपये दान कर दिए, तो किसी ने अपने होटलों एवं अन्य संस्थानों को क्वारेंटाइन सेंटर बनाने के लिए सरकार को सौंप दिया. कोरोना संकट की पहली और वर्तमान चल रही दूसरी लहर में देश के समस्त उद्योगपतियों ने अपना यथासंभव सहयोग दिया है.

आज जब पूरे देश में ऑक्सीजन की किल्लत हुई तब अंबानी, अडानी, टाटा और जिंदल सहित देश के सभी छोटे-बड़े उद्योगपति अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं और उन्होंने मुख्य उत्पादन को बंद कर लाखों टन ऑक्सीजन उत्पादन कर अस्पतालों की तरफ मोड़ दी. उनकी फैक्ट्री की अपनी उत्पादन क्षमता कम हो गयी, लेकिन उन्होंने देश की आवश्यकताओं को देखते हुए निर्णय लेने में कोई देरी नहीं की. इन उद्योगपतियों ने ऐसे समय में साथ दिया है, जब पूरा देश एक गंभीर स्थिति से गुजर रहा है. आम जनता को स्वास्थ्य लाभ के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता है.

वहीं, देश में एक ऐसा भी वर्ग है जो सिर्फ और सिर्फ दूसरों को कोसने का काम करता रहा है. उनके लिए सारी मुसीबतों और गरीबी की जड़ बड़े-बड़े उद्योगपति, जैसे मुकेश अंबानी, गौतम अडानी या टाटा ग्रुप हैं. इन उद्योगपतियों को कोसने वाले आज अपने घरों में बंद हो गए हैं और तथाकथित “शोषक” ऑक्सीजन जैसी क्रिटिकल समस्या के समाधान के लिए देश की सबसे ज़्यादा मदद कर रहे हैं.

टाटा स्टील ने हाल ही में जानकारी दी कि देश में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत से बचने के लिए उनकी कंपनी रोज़ 300 टन ऑक्सीजन जरूरतमंद स्टेट में पहुँचाने का काम कर रही है. वहीं देश की सबसे बड़ी कंपनी, मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज एक दिन में 700 टन ऑक्सीजन सप्लाई कर रही है.

इससे भी अच्छी बात ये है कि मुकेश अंबानी इस सप्लाई का कोई पैसा नहीं लेंगे, वह फ्री ऑफ कास्ट इसे जरूरतमंद लोगों तक,  स्टेट गवर्नमेंट और हॉस्पिटल्स के माध्यम से पहुँचाएँगे. कुछ समय पहले तक उनके जामनगर गुजरात प्लांट से 100 टन ऑक्सीजन जनरेट की जाती थी. अब वही आंकड़ा 700 टन हो गया है.

सीधी भाषा में ये समझिए कि मात्र इन दो कंपनी के प्रयासों से एक लाख से ज़्यादा मरीजों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई रोज़ मिल रही है. इसके साथ ही, टाटा कम्पनी विदेश से 24 ऐसे वाहन भी आयात करने की तैयारी में है, जिनसे ऑक्सीजन यहाँ से वहाँ भेजी जा सके.

गौतम अडानी की कंपनी ऑक्सीजन सप्लाई के लिए क्रायोजेनिक वाहन की व्यवस्था कर रही है, इसके अलावा ऑक्सीजन सप्लाई के लिए देशभर में विभिन्न स्थानों पर सहयोग कर रही है. जिंदल समूह भी देश को इस विपत्ति काल में अपने उद्योग संस्थानों से ऑक्सीजन सप्लाई करने की घोषणा कर चुका है.

लेकिन आखिर यह सब उद्योगपति ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह तो गरीबों को लूटना चाहते हैं ना? यह तो आम जनता को कोई राहत नहीं देना चाहते? जो किसान मजदूर आज ऑक्सीजन के लिए तरस रहा है, उसे आखिर अंबानी और अडानी ऑक्सीजन क्यों दे रहे हैं?

यह सभी सवाल योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, स्वरा भास्कर, राकेश टिकैत सहित उन तमाम कम्युनिस्ट आंदोलन-जीवियों से पूछना चाहिए जिन्होंने दिन-रात अंबानी-अदानी को गाली देकर अपनी राजनीति को चमकाने की कोशिश की है.

आज योगेंद्र यादव पूरी तरह से गायब हैं. उल्टा महामारी फैलाने के लिए जिम्मेदार राकेश टिकैत जैसे लोग अभी भी तथाकथित किसान आंदोलन के नाम पर सड़क जाम कर रहे हैं और ऑक्सीजन सप्लाई में बाधा डाल रहे हैं.

दूसरी तरफ उन्हीं गरीब किसान-मजदूरों को कोरोनावायरस से बचाने के लिए अंबानी और अडानी ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहे हैं. इस विपत्ति काल ने देश को यह बात अच्छे से समझा दिया है कि इस देश को योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत जैसे लोगों के बजाय उद्योगपतियों की अधिक आवश्यकता है जो संकट की घड़ी में देश के काम आ सके और लोगों की मदद कर सकें.

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