हिन्दुओं की दयनीय दशा का अनुमान इससे लगाएं कि सिंध प्रांत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ज्ञानचंद्र इसरानी ने डकैतों से अपील की कि वे हिन्दू समुदाय को निशाना न बनाएं. उन्होंने यह विनती सिंध विधानसभा में की. एक मंत्री अपने समुदाय की रक्षा के लिए डकैतों से निवेदन करे, ऐसा पाकिस्तान में ही हो सकता है. इससे समझा जा सकता है कि हिन्दू समुदाय के नेताओं तक को शासन-प्रशासन पर भरोसा नहीं कि वह उनके समाज की रक्षा के लिए कुछ करेगा.
राजीव सचान
गांधी जी के साथ अहिंसक तरीके से स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाले खान अब्दुल गफ्फार खान भारत विभाजन के प्रबल विरोधी थे. वह चाहते थे कि यदि विभाजन हो भी तो नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रांत यानि आज का खैबर पख्तूनख्वा भारत के साथ रहे. जब उनकी यह मांग नहीं मानी गई और भारत विभाजित हो गया तो उन्होंने गांधी जी से कहा था कि आपने हमें भेड़ियों के हवाले कर दिया. पाकिस्तान बनने के बाद वहां उनके साथ बुरा व्यवहार हुआ. उन्हें गद्दार कहा गया और जेल में भी डाला गया.
पाकिस्तान में आज भी पख्तून उपेक्षित हैं, लेकिन तमाम कठिनाइयों के बाद भी उनके अस्तित्व और उनकी अस्मिता के लिए वैसा खतरा नहीं, जैसा पाकिस्तानी हिन्दुओं के समक्ष है. पाकिस्तानी हिन्दू सचमुच ‘भेड़ियों’ के समक्ष हैं. उनका हरसंभव तरीके से लगातार ‘शिकार’ हो रहा है. इसे समझने के लिए पाकिस्तान से इसी रविवार को आए तीन समाचारों को देखिये…
पहली खबर में बताया गया कि पाकिस्तान के सिंध में कुछ डकैतों ने एक हिन्दू मंदिर में फायरिंग के साथ रॉकेट से भी हमला किया. चूंकि रॉकेट फटा नहीं, इसलिए मंदिर को कोई विशेष क्षति नहीं हुई. इन डकैतों ने सिंध के सभी हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने की धमकी दी है. इसलिए दी है, क्योंकि पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर चार बच्चों के साथ नेपाल के रास्ते अपने हिन्दू प्रेमी के पास भारत आ गई है.
हिन्दुओं की दयनीय दशा का अनुमान इससे लगाएं कि सिंध प्रांत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ज्ञानचंद्र इसरानी ने डकैतों से अपील की कि वे हिन्दू समुदाय को निशाना न बनाएं. उन्होंने यह विनती सिंध विधानसभा में की. एक मंत्री अपने समुदाय की रक्षा के लिए डकैतों से निवेदन करे, ऐसा पाकिस्तान में ही हो सकता है. इससे समझा जा सकता है कि हिन्दू समुदाय के नेताओं तक को शासन-प्रशासन पर भरोसा नहीं कि वह उनके समाज की रक्षा के लिए कुछ करेगा.
भरोसा करें भी तो कैसे, क्योंकि वे हर दिन यह देख रहे हैं कि सिंध में हर दूसरे-तीसरे दिन किसी नाबालिग हिन्दू लड़की को अगवा कर जबरन इस्लाम स्वीकार करा दिया जाता है और फिर किसी मुसलमान, अधिकतर मामलों में लड़की का अपहरण करने वाले मुसलमान से ही उसका निकाह करा दिया जाता है. पुलिस, अदालत और सरकार के लोग या तो अपहरण करने वालों की मदद करते हैं या फिर बेशर्मी के साथ यह कहते हैं कि लड़की बालिग है और उसने स्वेच्छा से इस्लाम स्वीकार किया है. लड़की के मां-बाप रोते-कलपते रह जाते हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं होती. हां, कुछ नेक दिल पाकिस्तानी ट्विटर, फेसबुक या यूट्यूब चैनल पर इस अत्याचार और अन्याय की निंदा करते हैं. कभी-कभी कुछ टीवी चैनल और अखबार भी खबर छाप देते हैं, लेकिन सौ में से नब्बे मामलों में हिन्दू लड़की अपने मां-बाप के पास नहीं लौट पाती.
एक आंकड़े के अनुसार अकेले सिंध में प्रति वर्ष लगभग एक हजार हिन्दू लड़कियों को जबरन इस्लाम में दाखिल कराकर उनका जबरिया निकाह कराया जाता है. इसके लिए मियां मिट्ठू नामक एक बदमाश मौलवी बाकायदा एक गिरोह चलाता है. उसकी इन्हीं हरकतों के कारण ब्रिटेन ने उस पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन कोई राजनीतिक दल उसके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं, उसकी गिरफ्तारी के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता.
रविवार को ही पाकिस्तान के सिंध प्रांत से दूसरी खबर आई कि 30 हिन्दू महिलाओं और बच्चों को बंधक बना लिया गया है. तत्काल पता नहीं चला कि इसका कारण क्या है, लेकिन आशंका यही है कि उन्हें या तो जबरन मुसलमान बनाया जाएगा या फिर बंधुआ मजदूर. पाकिस्तान में यह खूब होता है. हिन्दुओं की गरीबी का लाभ उठाकर उनकी मदद करने के नाम पर उन्हें इस्लाम स्वीकारने को कहा जाता है. मरता क्या न करता की हालत से गुजर रहे गरीब हिन्दू ऐसा करने को बाध्य होते हैं.
तीसरी खबर भी सिंध से आई. कराची में डेढ़ सौ साल पुराने मारी माता हिन्दू मंदिर को रात में पुलिस की उपस्थिति में बुलडोजर से मटियामेट कर दिया गया. यह काम अच्छे से हो सके, इसलिए इलाके की बिजली गुल कर दी गई. कहा गया कि यह मंदिर जर्जर हो गया था. क्या पाकिस्तान में सैकड़ों साल पुराने भवनों को ढहाने का रिवाज है? नहीं, लेकिन वहां किसी मंदिर को गिराना हो या उसकी जमीन हड़पनी हो तो फिर पाकिस्तानियों के पास बहानों की कमी नहीं रहती. इस मंदिर को फर्जी तरीके से बेचने की भी बात सामने आ रही है. हालांकि सिंध सरकार ने कहा है कि इस मंदिर की जगह और कुछ नहीं बनने दिया जाएगा, लेकिन इस पर भरोसा करना कठिन है, क्योंकि पाकिस्तान में जो मंदिर एक बार गिरा दिया जाता है, वह फिर कभी बन नहीं पाता. इसी कारण वहां सैकड़ों मंदिरों का अस्तित्व मिट चुका है.
पाकिस्तान में वह दिन दूर नहीं, जब वहां एक भी हिन्दू नहीं बचेगा. आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. विभाजन के समय वहां 22-23 प्रतिशत हिन्दू थे. बांग्लादेश बनने के बाद वे 11-12 प्रतिशत के करीब बचे. आज वे दो प्रतिशत भी नहीं हैं. आखिर ये दो प्रतिशत कब तक बच पाएंगे? यह प्रश्न इसलिए, क्योंकि उनके विनाश पर आम तौर पर भारत के साथ-साथ दुनिया भी मौन साधे रहती है. यह भी ध्यान रखें कि नागरिकता संशोधन कानून अभी भी ठंडे बस्ते में है. वास्तव में पाकिस्तानी हिन्दू अंतिम सांसें गिन रहे हैं. मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर औसत पाकिस्तानी जनता हिन्दुओं के प्रति घृणा से भरी हुई है, क्योंकि वहां के स्कूलों में आज भी यही पढ़ाया जाता है कि हिन्दू काफिर और जहन्नुमी ही नहीं, धोखेबाज और इंसानियत के दुश्मन भी होते हैं.
साभार – दैनिक जागरण (लेखक दैनिक जागरण में एसोसिएट एडिटर हैं.)