भारत में तरह तरह के विदेशी आंदोलन इम्पोर्ट करके डीप स्टेट नैरेटिव चलाता है, अच्छे शब्दों का बुरे अर्थों में प्रयोग कर भारत विरोधी नैरेटिव गढ़ा जाता है. आरक्षण हटाने, संविधान बदलने जैसे झूठे तथ्य यूनाइटेड स्टेट से लेकर बांग्लादेश, भारत तक के चुनावों में जानबूझकर फैलाए जाते हैं. हमारी विविधता समरसता के विरूद्ध कभी नहीं थी, ना है, इसे जानबूझकर विभाजन का आधार बनाया जाता है. ब्रज संवादोत्सव के पहले सत्र (“डीप स्टेट, वोकिज्म, सांस्कृतिक मार्क्सवाद”) में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की पूर्व अध्यक्ष व लेखिका रश्मि सामंत ने वार्ताकार अमित झालानी के प्रश्नों का उत्तर दिये.
डीप स्टेट पर अंशुल सक्सेना ने बताया कि किस तरह डीप स्टेट ईरान, ईराक जैसे देशों में युद्ध को प्रमोट करते हुए वेपन इंडस्ट्री चलाता है. लोगों के दिमाग़ में मनोवैज्ञानिक कॉन्सेप्ट्स बनाना इसका काम है. बांग्लादेश में बहुमत से जीतकर आई सरकार का तख्ता पलट करवा दिया गया. और इसी प्रकार की कोशिश चुनाव के समय में भारत में भी हुईं.
रश्मि सामंत ने कहा कि डीप स्टेट जैसे नैरेटिव नाम व रूप बदल बदल कर भारत के साथ शुरू से चले आए है. आठवीं शताब्दी में भारत सबसे सभ्य, शक्तिशाली व शिक्षित था. जब दो – तीन सौ वर्षों के लगातार आक्रमण के बाद भी बल के आधार पर भारत को नहीं हरा पाए तो नैरेटिव चलाए गए. अमेरिका की ब्लैक कम्युनिटी के नाम पर शुरू हुआ वोकिज्म आज हमारी संस्कृति को विकृत कर रहा है. ब्लैक लाइवस मैटर, मी टू मूवमेंट जैसे आंदोलन जो भारत की समस्याएं है ही नहीं, उन्हें एजेंडा के तहत भारत में इम्पोर्ट किया जाता है और भारत के बड़े बड़े सेलिब्रिटीज इस तरह के मूवमेंट का सपोर्ट करते है. प्राइड मूवमेंट, जिसकी भारत में आवश्यकता नहीं है. उसे क्रांति के रूप में दिखाया जाता है.
रश्मि सामंत ने ऑक्सफ़ोर्ड का अनुभव साझा करते हुए कहा कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी का प्रेसिडेंट बनने के बाद उन पर तरह तरह के आरोप लगाकर परेशान किया गया. एक भारतीय छात्रा का प्रेसिडेंट बनना तथाकथित आधुनिक लोगों को स्वीकार्य नहीं था और इसी कारण सामंत को प्रताड़ित किया गया और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
अंशुल सक्सेना ने कहा कि कल्चरल मार्क्सवाद ने शिक्षणिक संस्थाओं, नौकरशाही, मीडिया जैसे माध्यम से भारत की संस्कृति पर वार किया. डीप स्टेट, कल्चरल मार्क्सवाद और वोकिस्म के माध्यम से भारत के स्व को खत्म करने की सुनियोजित कोशिशें की जा रही हैं. और यही खेल पूरी दुनिया में चल रहा है.
अंशुल सक्सेना ने बताया किस तरह सोशल मीडिया पर अलग अलग जगह के वीडियो को भारत के वीडियो बताकर एंटी इंडिया कैंपेन चलाये जाते हैं. किस तरह चाइना का मीडिया बॉर्डर डिस्प्यूटस के समय पर जूठा प्रोपेगेंडा चालाता है, कश्मीर से धारा 370 हटाने पर झूठा नैरेटिव, क्रिकेटर अर्शदीप सिंह के विकिपीडिया प्रोफाइल को पाकिस्तान के किसी व्यक्ति द्वारा एडिट करके उन्हें खालिस्तान सपोर्टर बता दिया गया.
योगेश राजपुरोहित ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से फेक नैरेटिव फैलाना बहुत आसान हो गया है. कुछ लॉन्ग टर्म झूठे नैरेटिव जैसे दलित, आदिवासी, जाति के नाम पर भेदभाव के व झूठे विमर्श गढ़े जाते हैं, जबकि वास्तव में ऐसा कोई भेदभाव नहीं होता. टूलकिट के माध्यम से सोशल मीडिया पर नैरेटिव फैलाया जाता है. ऐसे असामाजिक तत्वों को रिपोर्ट करना आवश्यक है.
जितेश जेठानंदानी ने बताया कि किस तरह से जालौर के मटका काण्ड पर झूठा नैरेटिव फैलाया गया. सहारनपुर के कांड पर पाकिस्तान से हैशटैग चलता है. हरियाणा चुनाव में फेक नैरेटिव फैलाया गया. कोरोना काल में जान बूझकर नेगेटिव न्यूज़ को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया.
ब्रज संवादोत्सव के बुक फेयर में 5000 से अधिक पुस्तकों का संग्रहण है. बुक फेयर में देशभर के बुक पब्लिशर्स ने स्टॉल लगाए हैं. पुस्तक मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. उन्होंने बुक फेयर का अवलोकन किया और पसंदीदा विषयों की पुस्तकें खरीदी. इसमें धार्मिक, सामाजिक व मोटिवेशनल व विभिन्न विषयों की पुस्तकें भी उपलब्ध थीं.