तथाकथित किसानों के ‘शांतिपूर्ण आन्दोलन’ का नकाब उतर गया. शांति की ऐसी किलकारियां गूंजी कि पूरी दिल्ली कराह उठी. जो किसान नेता माइक लेकर टीवी चैनलों में कहते नहीं थक रहे थे कि देश का किसान अनुशासन में रहेगा वो आज के शांतिप्रदर्शन के बाद ढूंढे नहीं मिल रहे हैं. बिना जमीन वाले अर्बन नक्सल किसान आंदोलन में जमीन तलाश रहे थे, अब इस अराजकता, हिंसा और उपद्रव के बाद ठंडी आहें भर रहे होंगे. अर्बन नक्सल गिरोह के मिश्री वाणी वाले ट्रैक्टर रैली के प्रवक्ता योगेंद्र यादव ने भी इन सब उपद्रवियों से राकेश टिकैत की तरह पल्ला झाड़ते हुए अपने बचाव में ये बयान देना शुरू कर चुके हैं कि ‘जो हुआ वो गलत हुआ.’
योगेंद्र यादव ने कहा – “अगर किसी ने भी वर्दीवाले के ऊपर वाहन चढ़ाने की कोशिश की है, यह निंदनीय है, पूरी तरह अनुशासन से बाहर है. यह घृणित है और स्वीकार नहीं है. हम बार-बार मंच से कहते रहे हैं कि ये जो वर्दी में जवान हैं, ये तो वर्दी में खड़ा किसान है. इससे हमारा कोई झगड़ा नहीं है. अगर ऐसी कोई भी हरकत हुई है तो हम इसकी पूरी तरह से निंदा करते हैं.’
बस, अब निंदा हो गयी तो सात खून माफ़. “लड़के हैं गलती हो जाती है”, तो आप भी चाहें तो लड़कों की गलती माफ़ कर दें. लेकिन एक बार माफ़ी देने से पहले जरा लड़कों की शांतिपूर्ण हरकतों का ब्यौरा दिखा देते हैं –
एक पुलिसकर्मी के साथ कुछ किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा दिल्ली स्थित आईटीओ में मारपीट और हाथापाई का वीडियो सामने आया है. हाथ में डंडे लिए इन किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिसकर्मी को सड़क पर घेर लिया गया और उनका कॉलर पकड़कर उनके साथ लाठी-डंडों से मारपीट और हाथापाई करने लगे. तभी उन्हीं प्रदर्शनकारियों में से कुछ लोगों ने आकर बीच-बचाव कर पुलिसकर्मी को सुरक्षित खींच निकाला.
This is our farmer who protecting policeman.some of them are spread hate against farmer #FarmersProstests pic.twitter.com/BJNQkkj3oe
— Ritik Sharma (@RitikSh43126072) January 26, 2021
ट्रेक्टर परेड में शामिल प्रदर्शनकारियों की मनोदशा को आईटीओ की घटना से समझा जा सकता है. एक ट्रेक्टर चालक ट्रेक्टर लेकर सुरक्षा कर्मियों के पीछे दौड़ा रहा था, सुरक्षा कर्मी जान बचाकर नहीं भागते तो ट्रेक्टर का शिकार हो सकते थे.
#WATCH Violence continues at ITO in central Delhi, tractors being driven by protestors deliberately try to run over police personnel pic.twitter.com/xKIrqANFP4
— ANI (@ANI) January 26, 2021
सिंघु बॉर्डर पर ढाई महीने से जमे लोगों ने संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर में हंगामा किया, जिसके बाद उन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आँसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. इस दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस के एक वज्र वाहन पर चढ़ गए और वहाँ जम कर तोड़-फोड़ मचाई. ‘शांतिप्रिय किसानों’ द्वारा तलवारें भी भाँजी गईं….
This is no different from the Terrorism of Islamic State.
Dear @narendramodi Ji Govt should treat these Fake Farmer groups exactly as Govt treats Terrorists Because They Are Maligning Image Of India and Our Real Farmers.#shoot#FarmersProstests#दिल्ली_पुलिस_लठ_बजाओ pic.twitter.com/n2RgBWIq16
— Ranjan Bhat (@Kesariya_Ranjan) January 26, 2021
कुछ प्रदर्शनकारी तो लाल किले पर अपना झंडा फहरा आए. पोल पर चढ़े युवक के हाथ में जब तिरंगा दिया गया तो राष्ट्रीय ध्वज को उसने जमीन पर फेंक दिया…
नांगलोई में तो दिल्ली पुलिस के जवानों को सड़क पर बैठना पड़ा, ताकि वो किसी तरह प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक सकें. कई मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया, जिनमें ग्रीन लाइन के अधिकतर स्टेशन शामिल हैं.
ट्रैक्टर लेकर घुसे ये कथित किसान प्रदर्शन के नाम पर दिल्ली में जगह-जगह तोड़-फोड़, हल्ला-हंगामा और अराजकता फैला रहे हैं. आईटीओ के पास इन्होंने एक डीटीसी बस को क्षतिग्रस्त किया.
#WATCH Delhi: Protesting farmers vandalise a DTC bus in ITO area of the national capital. pic.twitter.com/5yUiHQ4aZm
— ANI (@ANI) January 26, 2021
प्रदर्शनकारियों ने एक महिला पुलिस कर्मी को घेर कर पकड़ लिया और उसे एक कोने में लेकर चले गए. महिला पुलिस को किसान प्रदर्शनकारी चारों ओर से घेरे हुए थे.
https://twitter.com/ankitbsd/status/1353998454171820032
प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली हरियाणा बॉर्डर सहित कई जगहों पर पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ दी.
https://twitter.com/ANI/status/1353945777618345985
एक जगह तो एक “अराजक तत्व” बाकायदा आटोमेटिक राइफल लहराता हुआ भी देखा गया..
https://twitter.com/ankitbsd/status/1354005609071267840
तो अगर इन शांतिप्रिय घटनाओं से आपका मन न भरा हो तो और कूल बना जा सकता है, ट्विटर फेसबुक पर ‘अन्नदाता’ टाइप लाइन लिख के और शांतिप्रिय घटनाओं के लिए प्रेरित किया जा सकता है. और अगर आपकी नींद टूट गयी हो, सच्चाई अगर आपने देख ली हो तो चुप्पी तोड़िये. गणतंत्र दिवस पर सरकार के तमाम अनुरोधों, इंटेलीजेंस की रिपोर्ट के बाद भी देश की राजधानी को हिंसा के मुंह में धकेल देने वालों को पहचानिए.