करंट टॉपिक्स

काशी की पहली शाखा ने मनाया वार्षिकोत्सव, संघ संस्थापक की उपस्थिति में हुई थी प्रारंभ

Spread the love

काशी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी द्वारा आरम्भ की गयी काशी की प्रथम शाखा “धनधानेश्वर” का वार्षिकोत्सव शनिवार को सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम में काशी प्रान्त प्रचारक रमेश जी का मार्गदर्शन स्वयंसेवकों को प्राप्त हुआ.

रमेश जी ने कहा कि धनधानेश्वर शाखा को आज 90 वर्ष पूरे हो गए. धनधानेश्वर शाखा का प्राकट्य संघ के संस्थापक डॉ. साहब द्वारा हुआ था, यह हमारे लिए अत्यंत गर्व की बात है. उस समय समाज संगठित नहीं था और देश को स्वतंत्र कराने के लिए समाज के संगठन की महती आवश्यकता थी. संघ स्थापना के पश्चात सम्पूर्ण भारत में संघ का विस्तार करने की आवश्यकता थी. सन् 1925 में डॉ. साहब का संपर्क स्वातंत्र्यवीर “सावरकर” और उनके बंधु बाबूराव सावरकर से हुआ. सावरकर बंधु  डॉ. साहब के समाज संगठन के इस प्रयास से बहुत ही खुश थे और वे संघ का विस्तार सम्पूर्ण भारत में देखना चाहते थे.

सन् 1931 में वीर सावरकर के बड़े भाई बाबूराव सावरकर जी अपनी चिकित्सा के लिए काशी आए. उस समय काशी में त्र्यम्बक शास्त्री वैद्य बहुत ही ख्याति प्राप्त वैद्य थे. सम्पूर्ण भारत वर्ष में उनकी चिकित्सा की बहुत ख्याति थी. बाबूराव सावरकर जी अपनी चिकित्सा के लिए वैद्य के यहाँ, रतन फाटक स्थित निवास अमृत भवन में ही ठहरे थे. जिस क्षेत्र में त्र्यम्बक शास्त्री वैद्य का घर था, वहां मराठी बोलने वालों की बहुलता थी. बाबूराव सावरकर जी ने स्थानीय लोगों के साथ मराठी लोगों की एक बैठक बुलाई और हिन्दू समाज पर होने वाले अत्याचारों का मुकाबला करने के लिए हिन्दू समाज के संगठन की आवश्यकता पर बल दिया और तदनिमित्त काशी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा प्रारंभ करने को लेकर सहमति निर्माण की और नागपुर में डॉ. हेडगेवार को संदेश भेज कर सूचना दी. डॉ. हेडगेवार जी बिना विलंब किये काशी जाना सुनिश्चित किया और वे काशी पधारे.

काशी पहुंचकर बाबूराव सावरकर जी से मिले और स्थानीय लोगों के साथ मराठी लोगों की एक बैठक की और सबको हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू संस्कृति की रक्षा करने की प्रतिज्ञा दिलवायी और दूसरे दिन रतन फाटक स्थित अमृत भवन के निकट स्थित धनधानेश्वर मंदिर में स्थित मैदान में दैनिक शाखा प्रारंभ की. उक्त शाखा का नाम धनधानेश्वर मंदिर के नाम पर “धनधानेश्वर” रखा गया. तब से अनवरत विगत 90 वर्षों धनधानेश्वर शाखा स्वयंसेवकों में संस्कार का निर्माण कर रही है.

“धनधानेश्वर मंदिर”, वाराणसी में 13 मार्च, 1931 को संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी द्वारा शाखा प्रारंभ की गई. सन् 1931 से 1962 तक शाखा धनधानेश्वर मंदिर स्थित मैदान में लगती रही. बाद में शाखा में संख्या बढ़ने के कारण शाखा ब्रह्मघाट पर गंगा जी के तट पर वर्तमान संघ स्थान पर लगने लगी. गंगाजी में बाढ़ आने पर पहले के कुछ वर्षों तक बिन्दुमाधव मैदान और वर्तमान में नाना फडणवीस वाडा में लगती है.

रमेश जी ने स्वयंसेवकों से कहा कि हमें गर्व है कि हमारी शाखा में प्रथम सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार, द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी, भाऊराव देवरस जी, सहित अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है. वर्तमान में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्द देव जी गिरि महाराज भी इसी शाखा के स्वयंसेवक हैं. वर्तमान में हमारी धनधानेश्वर शाखा में परम पूज्य भगवा ध्वज के मार्गदर्शन में हमें गुरुकुल पद्धति से व्यक्ति निर्माण एवं संस्कारों की शिक्षा दी जाती है. हमारे सभी स्वयंसेवक शारीरिक और खेल-कूद में पारंगत होने के साथ-साथ बौद्धिक कार्यक्रम यथा गीत, सुभाषित, अमृत वचन, बोध कथा, समसामयिक चर्चा में निपुण हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *