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1100 डिग्री के दहकते लावा की धारा शहर में घुस रही थी, भारतीय जवानों की सूझबूझ व साहस ने लाखों लोगों का जीवन बचाया

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नई दिल्ली. लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के साथ काम कर रहे भारतीय सेना के जवानों ने माउंट न्यारागोंगो से एक बड़े ज्वालामुखी विस्फोट के बीच स्थानीय आबादी तक पहुंचने और संयुक्त राष्ट्र की संपत्ति को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. माउंट न्यारागोंगो में सक्रिय ज्वालामुखी ने शनिवार 22 मई को स्थानीय समयानुसार शाम 6.30 बजे लावा उगलना शुरू किया, जिससे 6 लाख की आबादी वाले पास के गोमा शहर में दहशत फैल गई. भारतीय जवानों ने गोमा शहर के प्रभावित इलाकों से नागरिकों को सुरक्षित निकाला. भारतीय सेना के जवान कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र संगठन मिशन का हिस्सा हैं, जिसका भारतीय ब्रिगेड मुख्यालय गोमा हवाई क्षेत्र के निकट स्थित है.

माउंट न्यारागोंगो में सक्रिय एक बड़े ज्वालामुखी में विस्फोट होने से नजदीक के गोमा शहर में दहशत फ़ैल गई, लेकिन कुछ ही घंटों के भीतर भारतीय ब्रिगेड के जवान वहां पहुंच गए. भारतीय जवानों ने नागरिकों के साथ-साथ राष्ट्रीय संपत्ति को बचाने का अभियान शुरू कर दिया. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि ज्वालामुखी विस्फोट के बारे में वास्तविक समय के अपडेट संयुक्त राष्ट्र को दिए जाएं. भारतीय शांति सैनिकों की ओर से समय पर दी गई सूचना ‘ब्लू हेलमेट’ का नतीजा रहा कि नागरिकों को व्यवस्थित रूप से सुरक्षित निकाल लिया गया. भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि कांगो स्थित भारतीय ब्रिगेड मुख्यालय से 70 प्रतिशत जवानों को हिम्बी कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) भेजा गया. दरअसल वहां के शिविर में तैनात जवानों की संख्या कम होने से राहत कार्यों में दिक्कत आ रही थी, इसलिए यह कदम उठाया गया. भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि ज्वालामुखी विस्फोट के बाद पैदा हुए खतरों को देखते हुए भारतीय दल के जवान गोमा शहर में नागरिकों और अन्य संयुक्त राष्ट्र कर्मियों की आसानी से निकासी और उन्हें सुरक्षा देने में मदद की. भारतीय सेना की दो इन्फैंट्री बटालियन के अलावा सैन्य पर्यवेक्षक और बड़ी संख्या में स्टाफ अधिकारी लगे.

भारतीय सेना की ओर से बताया गया कि ज्वालामुखी का अधिकांश लावा पड़ोसी रवांडा की ओर बह रहा है, लेकिन थोड़ी मात्रा गोमा शहर की ओर भी आ रहा है. इसलिए भारतीय सेना ने यहां एक ऑब्जर्वेशन पोस्ट की स्थापना की ताकि गोमा शहर को ज्वालामुखी के लावे से बचाया जा सके.

कांगो संयुक्त राष्ट्र मिशन

इस समय संयुक्त राष्ट्र मिशन पर भारतीय जवानों सहित करीब 14 हजार सैन्यकर्मी तैनात हैं, जिसमें सबसे अधिक संख्या भारतीय जवानों की लगभग 2,200 से अधिक है. इस तरह संयुक्त राष्ट्र को सबसे बड़ा सैन्य योगदान देने वाला देश भारत है. इसके अलावा कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन पर पाकिस्तान, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, ब्राजील, मलावी, घाना, उरुग्वे और तंजानिया के सैनिक योगदान दे रहे हैं. कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र संगठन मिशन 01 जुलाई, 2010 से शुरू किया गया था. इस मिशन को नागरिकों, मानवीय कर्मियों की सुरक्षा करने और मध्य अफ्रीकी देश की सरकार का समर्थन करने के लिए सभी आवश्यक साधनों का उपयोग करने के लिए अधिकृत किया गया है.

संयुक्त राष्ट्र में प्रशंसा

संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क मुख्यालय में शनिवार (29 मई) को अंतरराष्ट्रीय शांति सैनिक दिवस मनाया गया. इसमें सैनिकों के योगदान के साथ भारतीय सेना के उन जवानों का नाम गर्व से लिया गया, जिन्होंने पिछले हफ्ते अफ्रीकी देश कांगो में फटे न्यारागोंगो ज्वालामुखी के 1100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उबलते लावा से लाखों लोगों को बचाया. साथ ही, बाकी शांति सैनिकों की रक्षा की.

सेना ने एक घंटे के भीतर 3 बड़े फैसले किए. पहला- एयर एसेट्स को शिफ्ट कर दिया जाए. दूसरा- गोमा में तैनात 2300 भारतीय सैनिकों में 70% को हिम्बी में कम्पनी ऑपरेटिंग बेस भेज दिया जाए. तीसरा- बाकी सैनिकों को खाली शिविरों की रक्षा, एविएशन बेस और एविएशन ईंधन के रखरखाव के लिए वहीं तैनात किया गया.

निगरानी पोस्ट बनाने का निर्णय बेहद कारगर साबित हुआ. इस पोस्ट से भारतीय सेना ने बहुत जल्दी ही यह पता लगा लिया कि लावा किस ओर बह रहा है. भारतीय सेना ने अलर्ट किया कि लावा पड़ोसी देश रवांडा की ओर बह रहा है.

सेना ने लावा के संभावित रास्ते की पहचान की और उसके रास्ते से नागरिकों को हटाने का आपरेशन लॉन्च कर दिया. यह सूझबूझ और साहस काम आया.

विश्व शांति में भारत; 49 मिशन में 1.95 लाख सैनिकों की भूमिका

विश्व शांति मिशनों में भारत दुनिया का बिग ब्रदर है. चीन के सैनिक हमसे तीन गुना कम हैं. भारतीय सेना ने 73 साल में 49 मिशनों में 1.95 लाख से ज्यादा सैनिक भेजे हैं. यह सबसे बड़ा योगदान है. इन मिशनों में 170 भारतीय सैनिक बलिदान हो चुके हैं. इस समय 10 मिशनों में भारत के 7676 जवान तैनात हैं.

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