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इतिहास में अहोम और ऐसे ही अन्‍य साम्राज्‍यों के वीरों की अनदेखी की गई

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नई दिल्ली. पूर्वोत्तर के रक्षक लाचित बरफुकन की 400वीं जयंती के उपलक्ष्य में नई दिल्ली में तीन दिवसीय समारोह का आयोजन किया जा रहा है. नई दिल्ली में समारोह का शुभारंभ हुआ. लाचित  ने मुगलों को शिकस्त दी थी. समारोह के पहले दिन असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन जी ने शिरकत की. असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास को नए नजरिए से देखने की आवश्यकता है. इतिहास में मुगलों का जिक्र नहीं होना चाहिए. ऐसे वीरों के बारे में भी जिक्र किया जाना चाहिए, जिन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सर्वस्व बलिदान कर दिया.

इतिहास में अहोम और ऐसे ही अन्‍य साम्राज्‍यों के वीरों की अनदेखी की गई. उन्‍होंने कहा कि इस पहल से लोगों को देश के असली नायकों के बारे में जानने में सहायता मिलेगी. राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य से लाचित बारफुकन के साहस की जानकारी उपलब्‍ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं.

केंद्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारामन ने विज्ञान भवन में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. प्रदर्शनी में अहोम साम्राज्‍य और लाचित बरफुकन तथा अन्‍य वीरों की जीवन उपलब्धियां दिखाई गई हैं. कहा कि लाचित बारफुकन के साहसिक कार्य से उन्‍हें प्रेरणा मिली है।

इस समारोह का आयोजन लाचित बरफुकन की वीरता की गाथा और उनके द्वारा किए गए बलिदान के बारे में असम सहित पूरे भारत के लोगों को परिचित करवाने के उद्देश्य से किया जा रहा है. 24 नवंबर को इनके जन्मदिन पर गृहमंत्री अमित शाह और 25 नवंबर को प्रधानमंत्री कार्यक्रम को संबोधित करेंगे.

समारोह के दौरान लाचित बरफुकन के जीवन और गौरवशाली इतिहास पर एक वृत्‍तचित्र और पुस्तिका का लोकार्पण किया जाएगा. लाचित बरफुकन ने सरायघाट के प्रसिद्ध युद्ध में मुगलों को पराजित किया था. बरफुकन अहोम सेना के वीर सेनापति थे. इन्होंने मुगलों को पराजित किया था और औरंगजेब की बढ़ती महत्‍वाकांक्षाओं को रोक दिया था.

बरफुकन छह सौ साल से अधिक समय असम पर शासन करने वाले अहोम दुनिया में सबसे लंबे तक शासन करने वालों में से एक हैं. जब बरफुकन ने 1671 में सरायघाट में शक्तिशाली मुगलों का सामना किया था, उस समय वह गंभीर रूप से बीमार थे. इसके बावजूद उन्होंने आगे बढ़कर नेतृत्‍व किया और मुगलों को पराजित किया.

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