अवध (विसंकें). श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र राममंदिर आंदोलन से जुड़े नायकों का दस्तावेजीकरण करेगा. इसमें आंदोलन के नायकों के योगदान व व्यक्तित्व का प्रकाशन किया जाएगा. तीर्थ क्षेत्र इसे लेकर योजना बना रहा है. मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे व अब दुनिया को अलविदा कह चुके लोगों से जुड़ी सूचनाओं का संकलन कर पुस्तक का प्रकाशन करने की भी योजना है. अभी ट्रस्ट लोगों के सुझाव का इंतजार कर रहा है. सुझाव पर अमल करते हुए किताब व स्मारक को जमीनी आकार दिया जाएगा.
भूमि विवाद पर सुप्रीम फैसला आने के बाद श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मंदिर की हजार वर्ष की आयु को लेकर कार्यदायी संस्था व विशेषज्ञों का दल होमवर्क कर रहा है. जल्द ही मंदिर के मूल ढांचे का निर्माण शुरू होगा. इसके सामानांतर ही अब मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वालों का इतिहास भी संरक्षित किए जाने की तैयारी है. इनमें वे देवराहा बाबा भी हैं, जिन्होंने आंदोलन की शुरूआत में ही इसकी सफलता को असंदिग्ध बताया था और जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की भविष्यवाणी भी की थी.
देवराहा बाबा के अतिरिक्त मंदिर आंदोलन की धुरी रहे दिगम्बर अखाड़ा के महंत रामचंद्र परमहंस, गोरक्षपीठ के महंत रहे अवैद्यनाथ, दिग्गज विहिप नेता अशोक सिंघल, जगद्गुरू पुरूषोत्तमाचार्य, आचार्य गिरिराज किशोर, गोलाघाट के साकेतवासी महंत रामसूरत शरण, जगद्गुरू माधवाचार्य, बैकुंठलाल शर्मा, ठाकुर गुरूजन सिंह, जगद्गुरू शिवरामाचार्य, स्वामी सत्यमित्रा नंदगिरि, जगदीश मुनि, ओंकार भावे, महेश नारायण सिंह, डॉ. विश्वनाथ दास शास्त्री सहित अन्य हस्तियों का विवरण होगा. जिन्होंने मंदिर आंदोलन से न केवल जन-जन को जोड़ा, बल्कि इसे आजादी के बाद का सबसे बड़ा आंदोलन बना दिया. ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने कहा कि इस बारे में जन सुझाव के आधार पर कार्य किया जाएगा.