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अर्पण-तर्पण की भूमि को जिहादी हिंसा का ग्रहण लगा – मोनिका अरोड़ा, अधिवक्ता

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उदयपुर. प्रताप गौरव केंद्र राष्ट्रीय तीर्थ उदयपुर द्वारा आयोजित महाराणा प्रताप जयन्ती समारोह के अन्तर्गत हो रहे संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट मोनिका अरोड़ा ने कहा कि भारत की भूमि अर्पण की भूमि है, तर्पण की भूमि है, शांति और क्रांति की भूमि है. रवीन्द्र नाथ टैगोर, विवेकानन्द, सुभाष चन्द्र बोस एवं जन गण मन से वंदे मातरम की इस भूमि को ग्रहण लग गया है जिहादी हिंसा का, मार्क्सवादी हिंसा का और टीएमसी की हिंसा का.
संवाद कार्यक्रम में मोनिका अरोड़ा ने अर्बन नक्सल तथा बंगाल की भयावह कहानी विषय की ओर इंगित करते हुए कहा कि बंगाल में 2 मई को हुए विधानसभा चुनाव के बाद से हो रही हिंसा का तांडव शुरू हो गया. खेला-खेला होबे, कहकर हुजूम के साथ वहां महिला, पुरूषों व बच्चों पर अत्याचार किया जा रहा है, उन्हें पीटा जा रहा है.

हिन्दुओं पर अत्याचार वहां पहले भी था और अब बढ़ता ही जा रहा है. हिन्दू शरणार्थी कहां जाएंगे, इसकी चर्चा तो हुई पर नीति नहीं बनी. टीएमसी सरकार घुसपैठ को लगातार बढ़ावा दे रही है. हिन्दुओं का विरोध तो है ही, केन्द्र सरकार का भी विरोध किया जा रहा है. वहां रहने वाले व्यक्ति के निजी जीवन से समाज जीवन तक उन्हें क्या करना है, यह सब कम्युनिस्ट तय करते हैं. जनवरी 1979 में बांग्लादेश से विस्थापित होकर हिन्दू आए, उन्हें गोलियो से भून दिया गया. 2011 में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में थी, कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ टीएमसी में आ गए. आज टीएमसी के लोग उन्हें मार रहे हैं. टीएमसी की बर्बरता इतनी है कि समाने जो बोलेगा, उसे खत्म कर दिया जाएगा. जय श्री राम बोलने वालों को मार देने की बात करने वालों ने राष्ट्रीय विचार के लोगों के बंगाल में आने पर रोक लगा दी है. कश्मीर में जो पहले होता था, आज वह बंगाल में हो रहा है.

एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि मोनिका अरोड़ा ने कहा कि आज बंगाल हिंसा भारत के लिए खतरे की घंटी है. इस देश के लोगों को देखना होगा कि बंगाल की बेटी अगर सुरक्षित नहीं, मतलब भारत सुरक्षित नहीं है. आज हमें रचनात्मक कार्यों के माध्यम से बंगाल की भयावह स्थिति सब के सामने लानी होगी. परिवार में, बच्चों के साथ चर्चा करनी होगी.

जिहादी प्रभाव पर कहा कि चुनाव बाद हिंसा में पूरे बंगाल के 23 जिलों में से 16 जिलों में हिंसा हुई. घुसपैठ कर यहां आने वालों के राशन कार्ड बन जाते हैं, राशन मिलने लग जाता है, आधार कार्ड बन जाता है.

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि जेएनयू में अफजल जैसे आतंकी की बरसी मनाई जाती है. इन जैसे आतंकियों के लिए रात को कोर्ट खुलवाई जाती है, यह अर्बन नक्सलवाद है. जेएनयू को किसी भी विचारधारा के प्रभाव में नहीं छोड़ना चाहिए. लेकिन आज वहां परिवर्तन हो रहा है. भारत की संस्कृति पर रिसर्च प्रारंभ हो गया. तिरंगा फहराया जा रहा है. विवेकानंद का स्टेच्यू लगाया गया है. राष्ट्रीय विचार के लोग आगे आ रहे हैं. वह दिन दूर नहीं, अब जेएनयू क्या भारत का हर यूनिवर्सिटी से जयकार होगा.

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