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पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर और रानी दुर्गावती का जीवन देश के लिए आदर्श

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कर्णावती, गुजरात.

असत्य पर सत्य की विजय के पर्व विजयादशमी के शुभ अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद – दुर्गा वाहिनी – मातृशक्ति ने पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर और रानी दुर्गावती की क्रमशः 300वें और 500वें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में ‘मानवंदना यात्रा और सम्मेलन’ का आयोजन किया. नारी शक्ति को वंदन कार्यक्रम में तीन किलोमीटर लंबी यात्रा में अखाड़ा, नियुद्ध, तलवारबाजी और देशभक्ति के नारों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया. यात्रा में जगह-जगह पर पुष्प वर्षा से स्वागत हुआ.

कार्यक्रम में परिचय दुर्गा वाहिनी क्षेत्र संयोजिका डॉ. यज्ञाबेन जोशी ने करवाया. कार्यक्रम में अतिथि के रूप में शहर की प्रथम नागरिक महापौर प्रतिभाबेन जैन, साध्वी सुप्रभानंद जी एवं समाजसेविका उषाबेन अग्रवाल उपस्थित रहीं. खेल और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली गुजरात की बेटियों को भगवान रामलला की तस्वीर वाली शील्ड देकर सम्मानित किया गया.

मानवंदना कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विहिप के केंद्रीय सह संगठन मंत्री विनायकराव देशपांडे जी ने कहा कि रानी दुर्गावती और अहिल्यादेवी होलकर का स्मरण कर उनके जीवन से प्रेरणा लेकर महिला सशक्तिकरण के लिए विशेष कार्य करने की आवश्यकता है. उन्होंने अहिल्यादेवी को शिक्षित करने वाले उनके ससुर मल्हार राव होलकर का उदाहरण देते हुए कहा कि ससुर के घर में शिक्षा देने की उत्कृष्ट प्रथा देश में 300 वर्ष से भी अधिक पुरानी है. दोनों वीरांगनाओं का स्मरण करते हुए कहा कि महिलाएं विपरीत परिस्थितियों में भी उत्कृष्ट कार्य कर सकती हैं, बस आवश्यकता है तो उन्हें अवसर देने की. 500 साल पहले रानी दुर्गावती ने आदिवासी समाज के एक वीर राजा से शादी की और न केवल अपने पितृपक्ष के साम्राज्य को मजबूत किया, बल्कि देश से जातिगत भेदभाव को भी दूर किया. दोनों विभूतियों ने अनेक धार्मिक कार्य किये. रानी दुर्गावती ने मंदिरों के विकास के लिए 40 गाँवों के कर की व्यवस्था की. रानी अहिल्यादेवी ने नर्मदा और गंगा के तट पर कई घाट बनवाए, धर्मशालाएँ बनवाईं, अन्नक्षेत्र बनवाए, विधर्मियों द्वारा नष्ट किये गये कई मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया, जिनमें पवित्र ज्योर्तिलिंग भी शामिल थे. भारत माता की आरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.

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