जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जयपुर प्रांत प्रचारक बाबूलाल ने कहा कि घुमन्तू समाज ने हर कालखण्ड में अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए संघर्ष किया. इन्होंने अपनी जन्मभूमि छोड़ दी, लेकिन अपना धर्म नहीं छोड़ा.
वे शुक्रवार (4 अक्तूबर) शाम को स्वस्तिक भवन, अम्बाबाड़ी में आयोजित घुमन्तू जाति उत्थान न्यास – जयपुर महानगर घुमन्तू तीर्थ योजना के अन्तर्गत घुमन्तू युवा मेवाड़ दर्शन यात्रा के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, भारत में अनादिकाल से देशाटन की परम्परा रही है, जिसे तीर्थाटन, भारत भ्रमण और भारत दर्शन भी कहा गया है. यहां तक कि प्रशासनिक सेवा के नवचयनित प्रशिक्षुओं को भी भारत दर्शन पर जाना अनिवार्य होता है. इसका मूल भाव होता है कि हम क्या हैं, इसको समझना. इससे हमारा विचार वैश्विक बनता है. इस विचार के आधार पर ही भारत ने ’वसुधैव कुटुम्बकम्’ का संदेश दिया. मुख्यधारा में आने के लिए घुमन्तू समाज को सर्व समाज के साथ एकाकार होना होगा.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जयपुर सांसद मंजू शर्मा ने कहा कि घुमन्तू समाज के युवाओं को मेवाड़ के ऐतिहासिक प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करवाने की यह यात्रा सराहनीय है. इससे युवाओं में राष्ट्र गौरव का भाव और अधिक प्रबल होगा.
कार्यक्रम की अध्यक्षता सिद्धी विनायक अस्पताल चौमूं के निदेशक डॉ. एलएन रुण्डला ने की. उन्होंने कार्यक्रम से जुड़ने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए घुमन्तू समाज के उत्थान के लिए हमेशा अपना योगदान देने के लिए उद्यत रहने की बात कही.
कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए घुमन्तू जाति उत्थान न्यास जयपुर महानगर के संयोजक राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि 1857 की क्रांति में घुमन्तू समाज का बड़ा योगदान था. यह समाज हथियार बनाने में निपुण था और व्यापार करने के लिए कई नगरों में जाता थे, इसलिए रास्तों का भी ज्ञान था. अंग्रेजों ने इन्हें अपराधी घोषित कर दिया. यह स्थिति स्वाधीनता के बाद भी अधिक नहीं बदली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इनके लिए शिक्षा और बाल संस्कार केन्द्र शुरू किए. इन्हें तीर्थ यात्राएं करवाईं. इनके लिए रोजगार मेले आयोजित किए. सौभाग्य से वर्तमान सरकार भी इनके प्रति संवेदनशील है, जिसके चलते 2 अक्तूबर को 21 हजार परिवारों को जमीन के निःशुल्क पट्टे वितरित किए हैं. अब इस समाज को तीर्थाटन से जोड़ने का दायित्व भी संघ प्रेरित संगठन घुमन्तू उत्थान न्यास निभा रहा है.
उन्होंने बताया कि मेवाड़ दर्शन यात्रा 4 से 6 अक्तूबर तक रहेगी. इसमें घुमन्तू समाज के सौ युवा शामिल हैं. सभी युवा महाराणा प्रताप से जुड़े हल्दीघाटी सहित अन्य ऐतिहासिक स्थलों व मार्ग में आने वाले प्रसिद्ध मंदिरों व किलों का भ्रमण करेंगे.